
राजनीति में वैक्यूम नहीं रहता, यहां भी निकल आएगा कोई लीडर
- प्रधानमंत्री से मेरा क्या मुकाबला, भाजपा ने गिराया प्रचार का स्तर
- ये देखकर निराश हूं कि अपने चुनाव क्षेत्रों में फंसे रहे कांग्रेस नेता
राजेश मंढोत्रा। शिमला
एक महीने से ज्यादा लंबे चले चुनाव प्रचार से फ्री हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी राजनीति से संन्यास का ऐलान किया है। शुक्रवार को अपने निजी आवास होलीलॉज में हुई विशेष बातचीत में वीरभद्र सिंह ने कहा कि ये चुनाव उनका आखिरी था। अगले 5 साल के बाद न तो चुनाव लडूंगा और न ही लड़वाऊंगा। उनके बाद कांग्रेस को अगले चुनाव में कौन लीड करेगा? इस सवाल के जवाब में वीरभद्र सिंह ने कहा कि राजनीति में वैक्यूम कभी नहीं रहता।
लोग अपनी जगह खुद बनाते हैं। यहां भी ऐसे ही होगा। लेकिन वह ये स्थिति देखकर जरूर निराश हैं कि इन चुनावों में उन्हें छोड़कर प्रदेश कांग्रेस के किसी नेता ने अपने चुनाव क्षेत्र के बाहर काम नहीं किया। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि कांग्रेस बहुमत से दोबारा सरकार बनाएगी। वह चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश के हर कोने में घूमे हैं और हर जगह प्रदेश सरकार के विकास के कार्यों के प्रति लोगों का रुझान था। फिर भी यदि कुछ कमी रह गई तो डेफेसिट को निर्दलीय पूरा करेंगे। वीरभद्र सिंह ने कहा कि भाजपा ने इस बार चुनाव में प्रचार का स्तर काफी गिरा दिया।
प्रधानमंत्री के स्तर से मेरे खिलाफ दुष्प्रचार गैर जरूरी था
प्रधानमंत्री के स्तर से लेकर नीचे के नेताओं तक ने उन पर कीचड़ उछाला। इस तरह की परंपरा हिमाचल की नहीं है, इसलिए लोग जवाब देंगे। इससे साबित हो गया है कि भाजपा को पता है कि उनके रास्ते का रोड़ा मैं ही हूं। अन्यथा प्रधानमंत्री के स्तर से मेरे खिलाफ दुष्प्रचार गैर जरूरी था। मेरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में वैसे कोई तुलना नहीं हो सकती। मैं छोटे से प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और वो देश के नेता। इसलिए मुझ पर चुनाव प्रचार केंद्रित करके किसका स्तर कम हुआ?
कई सीटों पर कमजोर प्रत्याशी दिए कांग्रेस ने
वीरभद्र सिंह ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि उन्होंने सीमित साधनों से ये चुनाव लड़ा है। कांग्रेस को भी थोड़ा और प्रोएक्टिव होना चाहिए था। एक ओर प्रदेश के सीनियर लीडर अपने चुनाव क्षेत्रों से बाहर नहीं निकले, दूसरी ओर कुछ सीटों पर प्रत्याशी चयन सही न होने से पार्टी कमजोर पड़ी। वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला शहरी, ठियोग, नालागढ़, कुटलैहड़ और नाचन जैसी सीटों पर चयन और बेहतर हो सकता था।
2019 से पहले वापस जड़ों में जाए कांग्रेस
आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए क्या संभावना है? इस सवाल के जवाब में वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस एक मास बेस्ड पार्टी है, कैडर बेस्ड नहीं। इसलिए इसे अपना आधार तलाशने के लिए वापस जड़ोंं में जाना होगा। बूथ से प्रदेश स्तर पर चुनाव से पदाधिकारी चुने जाएं। एक चुनाव चाहिए उठने को, इसलिए 2019 में कंपीटिशन बनाया जा सकता है। ये सब कांग्रेस के संविधान में है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा।
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