
कुछ करने के जुनून ने ही दिलाई इस बार सफलता
कांग्रेस छोड़कर भाजपा की थी ज्वाइन
सोमी प्रकाश भुव्वेटा। चंबा
मंजिल तक पहुंचने में कई बार रूकावटें भी आती हैं। पर हौंसला बनाए रखना पड़ता है। वैसे कुछ खास करने का जुनून हो तो वह कुछ भी कर सकता है। बात जब ऐसे शख्स की हो जिसे लगातार असफलता का सामना करना पड़ा हो। चंबा सदर विस क्षेत्र के नव निर्वाचित विधायक पवन नैय्यर का जिक्र किया जा रहा हैं। इन्हें खुद पर तो यकीन था। पर उन्हें सियासत के खेल में अनाड़ी समझने की भूल की जाती रही।
ऐसा इनके साथ एक बार नही लगातार होता रहा। पर इस शख्स की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि इन्होंने अपने हौंसले को बनाए रखा।
वरना जिस तरह की स्थिति से इन्हें गुजरना पड़ा हैं, अगर कोई और होता तो कब का टूट कर बिखर जाता। हर तरह की परिस्थितियों में इन्हें इनकी धर्मपत्नी और बच्चों का स्नेह मिला। खैर अब इस शख्स ने खुद को साबित करके बता दिया है कि हार कर बाजी जीतने वाले को बाजीगर कहतें हैं। विडंबना तो देखिये इस शख्स को जो लोग किसी भी सूरत में राजनीति के इस खेल में सफल होते नहीं देखने के लिए कई तरह के षड्यंत्र रचते रहें।
पवन नैय्यर ने अपने खिलाफ लगातार षडयंत्र होते रहे
आज वहीं लोग इनके इर्द-गिर्द घूम कर शुभचिंतक बनते फिर रहे हैं। इन्होंने भी अपने खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों के खिलाफ किसी तरह की द्वेषभावना रखने की बजाय उन्हें गले लगा लिया। कांग्रेस की टिकट पर लगातार दो बार चुनाव लडऩे वाले पवन नैय्यर ने अपने खिलाफ लगातार होते रहे षडयंत्र को भांपते हुए वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा ज्वाइन कर ली। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा ज्वाइन करना इनके लिए लक्की साबित हुआ।
चंबा सदर में इनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए भाजपा ने अपने सीटिंग एमएलए की टिकट काटकर इन्हें विस चुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हालांकि इन्हें टिकट मिलने पर संगठन से जुड़े लोगों ने शुरुआत में नाराजगी भी जताई। संघ और बीजेपी के बड़े नेताओं ने सबको एक साथ बैठाकर नाराज लोगों को मना लिया।
अधिक मतों से चुनाव जीतने वाले दूसरे विधायक भी बने
संजय दराट। चुवाड़ी
भटियात विधानसभा क्षेत्र ने इस बार विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कई भ्रम भ्रांतिया तोड़ी। एक ही चुनाव चिन्ह पर लगातार चुनाव जीत भाजपा विधायक विक्रम सिंह जरयाल ने जीत के रिकॉर्ड भी तोड़े। इतने अधिक मतों के अंतर से भी चुनाव जीतने वाले वो भटियात के दूसरे विधायक बन गए हैं। इससे पहले किशोरी लाल वैद्य भी आठ हजार के करीब मतों से चुनाव जीते थे। कुल मिलाकर यह रिकॉर्ड भाजपा विधायकों के नाम ही है। इस चुनाव में वर्षों से अंतकर्लह व बगावत से झूझ रही भटियात भाजपा को बागियों व बगावत से भी स्थाई निजात मिल गई। भटियात विधानसभा क्षत्र वास्तव में भाजपा का ही गढ़ रहा है।
यह विधानसभा क्षेत्र प्रदेश का पहला ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां से हर लोकसभा चुनाव में हमेशा भाजपा रिकॉर्ड मत से आगे रहती रही है। कांग्रस की सरकार हो या नेतृत्व यहां लोकसभा चुनावों में लोगों ने हमेशा भाजपा को ही आगे रखा। भाजपा का इतना प्रभाव होने के बावजूद वर्षों से यहां विधानसभा चुनावों में भाजपा ज्यादा बेहतर नहीं कर पा रही थी।
2012 व 2017 में विक्रम सिंह जरयाल ने लगातर भाजपा से चुनाव जीता
1985 में यहां कांग्रेस से पहली बार कुलदीप सिंह पठानिया जीते, 1990 में जनतादल से शिव कुमार उपमन्यु जीते, 1994 में कुलदीप सिंह पठानिया निर्दलीय जीते, 1998 में भाजपा से किशोरी लाल वैद्य जीते, 2003 में कुलदीप सिंह पठानिया निर्दलीय जीते, 2007 में पठानिया कांग्रेस से जीते, उसके बाद से 2012 व 2017 में विक्रम सिंह जरयाल ने लगातर भाजपा से चुनाव जीता।
पिछले आठ विधानसभा में यहां से दो बार कांग्रेस, दो बार निर्दलीय, एक बार जनता दल व तीन बार भाजपा के विधायक बनने से यहां राजनीतिक अस्थिरता लगातार बनी रही। वहीं भाजपा ने वर्षों बाद अपनी मजबूत सीट पर पकड़ बरकरार रखी। 1990 से लेकर 2003 तक यहां कांग्रेस में बहुत ज्यादा अंतर्कलह रही, तो उसके बाद से यह खेल भाजपा में शुरू हुआ जिसका अंतत इस चुनाव में जाकर अंत हुआ। 1998 के बाद एक बार फिर से विधायक व सरकार एक ही दल से है।
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