नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को जमानत देने से इनकार के अपने आदेश में असावधानीवश हुई चूक में सुधार करे।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी अर्जी में अदालत को सूचित किया कि न्यायमूर्ति सुरेश कैत के 15 नवंबर के आदेश में भूलवशाअसावधानीवश चूक हुई है। इसके साथ ही निदेशालय ने अदालत से इसमें सुधार के लिए अनुरोध किया है।चिदंबरम की जमानत अर्जी खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में किसी अन्य मामले से संबंधित जानकारी पाई गई।यह त्रुटि 41 पन्नों के फैसले के चार पैराग्राफ में है।
न्यायमूर्ति कैत ने वर्ष 2017 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के कुछ पैराग्राफ इसमें जोड़ दिए जो धन शोधन मामले में दिल्ली के वकील रोहित टंडन की जमानत याचिका खारिज करने से संबंधित हैं।
न्यायाधीश ने टंडन बनाम ईडी मामले में उच्च न्यायालय के 2017 के आदेश का भी जिक्र किया जिसमें यह कहा गया है कि धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अधिसूचित अपराधों के मामले में विशेष अदलतों द्वारा सुनवाई का प्रावधान है। प्रवर्तन निदेशालय ने केंद्र सरकार के स्थाई अधिवक्ता अमित महाजन और वकील राबत नायर के जरिए याचिका दायर की जिसमें उच्च न्यायालय के चिदंबरम की जमानत नामंजूर करने से संबंधित आदेश के पैराग्राफ 35,36,39 और 40 में भूलवश अथवा असावधानीवश हुई त्रुटियों को सुधारने का अनुरोध किया गया है।
ईडी ने स्पष्ट किया कि चिदंबरम की याचिका अस्वीकार करने के लिए उसने जो दलीलें दी थीं, यह तथ्य उसका हिस्सा नहीं है। उसने कहा कि टंडन के मामले के तथ्य चिदंबरम मामले में जांच के दस्तावेजों का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि इस मामले में ईडी की जांच से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।टंडन को नोटबंदी से संबंधित धन शोधन के मामले में वर्ष 2016 में गिरफ्तार किया गया था। इस बीच, पी.चिदंबरम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा धन शोधन मामले में जमानत अर्जी खारिज करने के आदेश के खिलाफ सोमवार को उच्चतम न्यायालय गए।
आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में ईडी ने 74 वर्षीय चिदंबरम को 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।