जीवन ऋषि, धर्मशाला
हिमाचल में जून अंत से लेकर मध्य सितंबर माह तक मानसून सक्रिय रहता है। प्रदेश में 80 फीसदी कृषि व बागबानी बारिश के सहारे है। ऐसे में पहाड़ी प्रदेश में मानसून का अहम रोल रहता है,लेकिन इस बार का मानसून कई रंग दिखा रहा है। जून और जुलाई में ही प्रदेश में आइसोलेट रेन दर्ज की गई है। आइसोलेट बारिश यानी कुछ ही किलोमीटर में रेन फाल में बड़ी वैरिएशन को कहते हैं। अमूमन इस तरह की बारिशें अगस्त अंत और सितंबर में होती हैं,लेकिन इस बार के आंकड़ों पर गौर करें,तो जुलाई में ही इस तरह का अंतर देखने को मिल रहा है। प्रदेश करीब 14 लाख किसान व बागबान चिंतित हैं। राजधानी शिमला की बात करें,तो 23 से 29 जुलाई तक कई क्षेत्रों में बारिश में बड़ा अंतर रहा है। मसलन इस अवधि में शिमला शहर में जहां 22 एमएम बारिश हुई, ता इसके निकटवर्ती मशोबरा में 16 एमएम बारिश दर्ज हुई है। इसी अवधि में बिलासपुर के झंडूता में 10 एमएम तो बरठीं में 13 एमएम रेन फाल हुआ है। सोलन जिला के दो प्रमुख क्षेत्रों को स्टडी करें तो इन सात दिनों में नालागढ़ में 54 और धर्मपुर में 32 एमएम मेघ बरसे हैं।
इस बरसात में यह देखने को मिल रहा है कि जुलाई में ही आइसोलेट रेन हो रही है। अकसर इस तरह की बारिश अगस्त अंत या सितंबर में होती है
डा एसएस रंधावा, प्रिंसीपल साइंटिस्ट, स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज
जहां तक फसलों की बात है,तो किसानों और बागबानों को फिक्र करने की जरूरत नहीं है। धान के लिए लगातार पानी की जरूरत होती है, अन्य फसलों में कम पानी से भी काम चल जाता है।
डा बीआर तक्खी, अतिरिक्त निदेशक, कृषि विभाग