जीवन ऋषि : धर्मशाला
विश्वविख्यात पर्यटन स्थल मकलोडगंज के निकट नड्डी डल झील के वजूद पर संकट गहरा गया है। मार्च में धर्मशाला शहर ने अभी 25 डिग्री तापमान टच भी नहीं किया है, लेकिन झील है कि सूखा मैदान बनती जा रही है। रिसाव से झील सूख गई है, तो कैचमेंट एरिया से आ रही सिल्ट ने रही सही कसर पूरी कर दी है। नतीजा यह कि दुनिया भर से आ रहे हजारों पर्यटकों में मकलोडगंज और धर्मशाला जैसे टूरिज्म डेस्टिनेशन को लेकर खराब संदेश जा रहा है। मौजूदा हालात ये हैं कि झील के एक हिस्से में सिर्फ पत्थर दिख रहे हैं। बीच के एक हिस्से में थोड़ा सा पानी नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों देशराज अत्रि, राजेंद्र आदि ने बताया कि रिसाव के जरिए पानी कैंट नाले में जा रहा है। बरसों से सभी राजनीतिक दलों के नेता झील को संवारने के दावे कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
झील की हालत को सुधारने के लिए हो रहे प्रयासों को जानने के लिए हिमाचल दस्तक ने डिप्टी डायरेक्टर टूरिज्म विनय धीमान से बात की। उन्होंने बताया कि साल 2006 से इस झील के सौंदर्यीकरण के लिए मुहिम चल रही है। उस समय टूरिज्म डिपार्टमेंट ने साढ़े सोलह लाख का बजट तीन विभागों को दिया था। इसमें तत्कालीन नगर परिषद, आईपीएच (अब जलशक्ति) भी शामिल थे। इसके बाद साल 2013 में आईआईटी रुड़की ने इस झील पर स्टडी की, उसमें कहा गया कि कै चमेंट एरिया में पॉप्पुलेशन बढ़ी है। ऐसे में झील का साइंटिफिक डिसिल्टेशन होना चाहिए। तदोपरांत साल साल 2020 में झील के लीकेज ऑफ वाटर पर चर्चा हुई। यह बैठक एमपी की अगुआई में हुई थी।
उस समय आरसीसी वॉल के लिए जलशक्ति विभाग को कहा गया कि वह एस्टीमेट एमसी कमिश्नर को दें। समय के साथ नवंबर 2021 में इस बारे में डीसी ने मीटिंग ली थी। बैठक में जलशक्ति विभाग ने प्रेजेंटेशन दी थी और कहा था कि सिल्ट बढ़ गई है। उस समय चेकडेम की डिसिल्टेशन पर चर्चा हुई थी। पर्यटन विभाग ने जलशक्ति को लिखा था कि वह बताए कि इसमें क्या करना है। खैर, एक बार फिर हम उनसे इस बारे में चर्चा करेंगे।
पर्यटन के लिए एडीबी का हिमालयन सर्किट के तहत 4 करोड़ अलग से आया था। इसमें धर्मशाला स्थित पर्यटन विभाग के ऑफिस को 1 करोड़ 20 लाख मिला था। इस पैसे को टूरिज्म डेवेलपमेंट बोर्ड के जरिये कार्य को करना है। 75 लाख खर्च बताया था। अभी कितना काम हुआ है, उसकी डिटेल ले रहे हैं।
-विनय धीमान, डिप्टी डायरेक्टर, टूरिज्म।