एजेंसी : श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में टॉर्गेट किलिंग को देखते हुए प्रशासन ने बड़ा फैसला किया है। कश्मीरी पंडित समुदाय से आने वाले 177 शिक्षकों का ट्रांसफर घाटी से बाहर कर दिया है। सभी को कश्मीर के जिला मुख्यालयों में पोस्टिंग दी गई है। यह फैसला शुक्रवार को गृह मंत्रालय में हुई हाईलेवल मीटिंग के बाद लिया गया है। श्रीनगर चीफ एजुकेशन ऑफिसर की ओर से जारी एक पत्र में सभी टीचर्स के ट्रांसफर की जानकारी दी गई है।
प्रशासन के इस फैसले को कश्मीरी पंडितों के आक्रोश को कम कराने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, घाटी में लगातार हो रही टॉर्गेट किलिंग के बाद से ही कश्मीरी पंडितों में आक्रोश है। अनंतनाग के मट्टन में रहने वाले कश्मीरी पंडित रंजन ज्योतिषी ने बताया कि लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है। हमारे कई लोग मारे जा चुके हैं। सरकार हमसे क्या चाह रही है? उन्होंने आगे कहा कि यहां सुरक्षाबलों के लोग ही सुरक्षित नहीं हैं, तो हम कैसे सुरक्षित रहेंगे।
इसके अलावा टॉर्गेट किलिंग को रोकने की रणनीति बनाते हुए घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडितों तथा पीएम पैकेज के कर्मचारियों को चार-पांच दिनों तक मूवमेंट न करने को कहा गया है। साथ ही हिंदू कर्मचारियों को भी घर पर ही रहने को कहा गया है। उन्हें दफ्तर न जाने की हिदायत दी गई है। घाटी के सभी जिलों के विभिन्न थानों से फोन कर मुलाजिमों तथा कश्मीरी पंडितों को हिदायत दी गई है।
- तनाव के बीच सभी को जिला मुख्यालयों में दी पोस्टिंग
- श्रीनगर चीफ एजुकेशन ऑफिसर ने जारी किया पत्र
- शुक्रवार को गृह मंत्रालय में हुई थी उच्च स्तरीय बैठक
इसलिए लिया गया निर्णय
कश्मीर में एक महीने से भी कम समय में लगातार हो रही रही टॉर्गेट किलिंग और सात मई से अब तक 9 लोगों को निशाना बनाए जाने से फैली दहशत से आम लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए प्रशासन ने कमर कसी और श्रीनगर के तमाम इलाकों में तैनात शिक्षकों का ट्रांसफर या समायोजन कर दिया है।
31 मई से लगातार हो रहे प्रदर्शन
सांबा में 31 मई को टीचर रजनी बाला की हत्या के बाद से ही प्रदर्शन कर रहे थे। कश्मीरी पंडितों की मांग है कि उन्हें जम्मू में ट्रांसफर किया जाए, जिससे लगातार हो रही टॉर्गेट किलिंग पर रोक लगे।
घाटी में करीब 5900 कर्मचारी
घाटी में प्रधानमंत्री पैकेज और अनुसूचित जाति जैसी श्रेणियों में करीब 5900 हिंदू कर्मचारी हैं। इनमें 1100 ट्रांजिट कैंपों के आवास में, जबकि 4700 निजी आवासों में रह रहे हैं। पाबंदियों के बावजूद निजी आवास और कैंप में रहने वाले कर्मचारियों में से 80 फीसदी कश्मीर छोड़कर जम्मू पहुंच गए हैं। अनंतनाग, बारामूला, श्रीनगर के कैंप के कई परिवार पुलिस-प्रशासन के पहरे के कारण नहीं निकल पा रहे हैं।