- जून के बाद नहीं मिलेगी केंद्रीय आर्थिक सहायता
- पांच साल से जारी थी भारत सरकार की मदद
- राज्य की आर्थिक स्थिति पर होगा विपरीत असर
मस्तराम डलैल : शिमला
आर्थिक तंगहाली से गुजर रहे हिमाचल प्रदेश को अब तीन हजार करोड़ का बड़ा झटका लगने वाला है। पिछले पांच वर्षों से जारी जीएसटी की गैप फंडिंग जून 2022 में बंद हो जाएगी। इस कारण प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर इसका जबरदस्त असर होगा।
इस समय हिमाचल सरकार को विभिन्न करों से साढ़े 8 हजार करोड़ की सालाना आय हो रही है। इसके अतिरिक्त जीएसटी लागू होने के बाद कंपनसेशन के आधार पर केंद्र सरकार से सालाना तीन हजार करोड़ मिल रहा था। यानि साढ़े 11 हजार करोड़ के इस राजस्व के बावजूद हिमाचल सरकार को अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए कर्ज उठाना पड़ रहा था।
बताते चलें कि भारत सरकार की जीएसटी योजना जून 2017 को लागू हुई थी। हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति और पर्वतीय राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने इस योजना के बदले पांच साल तक जीएसटी फंडिंग के लिए तीन हजार करोड़ की आर्थिक सहायता देनी शुरू की थी। अब 30 जून 2022 के बाद इस आर्थिक सहायता के फाटक हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। इसके बाद राज्य सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए करों की वसूली पर और जोर देना पड़ेगा।
हालांकि हिमाचल सरकार का सबसे बड़ा फोकस एक्साइज पर रहता है। इससे भी प्रदेश को डेढ़ हजार करोड़ ही सालाना आमदन है। यानि जीएसटी की भरपाई के लिए केंद्र से मिलने वाले आर्थिक पैकेज के मुकाबले एक्साइज डयूटी 50 फीसदी वसूल नहीं हो पा रही है। ऐसे में अगर राज्य सरकार की कर वसूली में वृद्धि नहीं हुई तो राज्य को पूरी तरह से कर्ज की तरफ ताकना पड़ेगा।
प्रदेश में हाल ही में नया वेतनमान लागू किया गया है। इससे पेंशनरों तथा कर्मचारियों के वेतन पर सालाना 650 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा है। इसके अतिरिक्त सामाजिक सुरक्षा पेंशन व कमजोर वर्गों को राहत प्रदान करने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त भार पड़ा है। इन परिस्थितियों में प्रदेश की वित्तीय स्थिति और नाजुक होने वाली है। हालांकि आबकारी एवं कराधान विभाग ने पिछले करीब एक लाख वैट वसूली के विवादित मामलों के निपटारे के लिए जोर लगाया है। इसकी समयावधि में जून 2022 तक निर्धारित की गई है। इसके लिए विभाग ने वन टाइम सेटलमेंट का भी ऑफर दिया है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार जीएसटी की गैप फंडिंग को जारी रखने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज रही है।
जीएसटी गैप फंडिंग की 3 हजार करोड़ की सालाना वित्तीय सहायता इस साल जून से बंद हो जाएगी। इस मामले को राज्य सरकार केंद्र के साथ प्रमुखता से उठा रही है। पर्वतीय राज्य का हवाला देते हुए इस फंडिंग को जारी रखने का आग्रह किया जा रहा है। इसके अलावा इस केंद्रीय सहायता की भरपाई के लिए अब सरकार अपने स्तर पर भी पुराने टैक्स मामलों को सुलझाने और कर वसूली पर फोकस कर रही है।
-सुभाशीष पांडा, प्रधान सचिव, आबकारी एवं कराधान।