शिमला:
राजधानी शिमला का पेयजल संकट अब करीब 395 करोड़ रुपये में दूर होगा। शहर के लिए सतलुज नदी से बनने वाली पेयजल योजना की टेंडर प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। तकनीकी बिड को क्वालीफाई करने वाली चार कंपनियों की फाइनांसियल बिड भी खुल गई है।
इसमें मैसर्ज एलसीसी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का रेट सबसे कम आया है। इस कंपनी के साथ शिमला की साईं इंजीनियरिंग फाउंडेशन और कुनाल स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का ज्वाइंट वेंचर है। नई बात ये होगी कि वल्र्ड बैंक के पैसे से शिमला के लिए बन रही इस पेयजल योजना में कई नए रिकॉर्ड बनेंगे। परियोजना को तीन साल में पूरा किया जाना है। इसमें सुन्नी के पास शकरोड़ी से संजौली तक चार पंप हाउस होंगे, जो 1600 मीटर की ऊंचाई तक पानी को शिमला शहर में पहुंचाएंगे। परियोजना की क्षमता 67 मिलीयन लीटर पानी पर डे होगी।
ये हिमाचल में आईपीएच या जलशक्ति विभाग की सबसे ऊंचाई वाली लिफ्ट होगी। इस कारण इसका पानी भी सबसे महंगा होगा। इससे पहले आईपीएच ने सोलन शहर के लिए 1200 मीटर तक पानी लिफ्ट किया है। नई बात ये भी होगी कि इस योजना से शिमला शहर की पेयजल किल्लत हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। इसकी वजह ये है कि वर्तमान में शहर की जरूरत करीब 47 एमएलडी पानी की है।
इसे 24 घंटे कर दिया जाए तो भी 50 एमएलडी तक पानी चाहिए। 2050 तक शिमला शहर को हर रोज 107 मिलीयन लीटर पानी चाहिए होगा। सतलुज के कोल डैम से बनने वाली योजना हर रोज 67 एमएलडी पानी जोड़ेगी, जबकि 47 एमएलडी वर्तमान स्कीमों से आ रहा है। ऐसे में 2050 तक की जरूरत पूरी हो रही है। इसके बाद की जरूरत भी इसलिए पूरी होगी कि जितना विस्तार शहर का 2050 तक हो जाएगा, उसके बाद और घर बनाने के लिए जगह ही नहीं बची होगी।
फाइनांसियल बिड में चार कंपनियों के टेंडर रेट
- मै. एलसीसी एंड साईं इंजीनियरिंग फाउंडेशन 395 करोड़
- मैसर्ज विष्णु प्रकाश आर पुंगलिया लिमिटेड 401 करोड़
- मैसर्ज युनिप्री टैक्रो इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लिमिटेड 448 करोड़
- मैसर्ज गाजा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड 473 करोड़
यहां बनेंगे ४ पंप हाउस
सतलुज बल्क वाटर स्कीम में चार जगह पर पंप हाउस बनेंगे। पहला पंप हाउस सतलुज डैम से रॉ वाटर उठाने के लिए होगा। फिर सुन्नी के शकरोड़ी में डिसिल्ट किया हुआ पानी उठेगा, जो देवीधार के टैंक में पहुंचेगा। यहां से पंप हाउस इसे डुम्मी तक लाएगा। डुम्मी से पंप हाउस संजौली टैंक तक पानी लाएगा। पूरा प्रोजेक्ट स्काडा सिस्टम पर बनेगा यानी पूरा संचालन आटोमेटिक होगा।
सतलुज पेयजल योजना के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब टेंडर अवॉर्ड किया जाना है। वल्र्ड बैंक की शर्तों के अनुसार परियोजना को तीन साल में पूरा करना होगा।
-धर्मेंद्र गिल, एमडी सतलुज जल प्रबंधन निगम शिमला