रोहित शर्मा। शिमला
बेशक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त रुख के बाद ही सही, लेकिन हिमाचल सरकार अपने यहां की छह झीलों को आधार नंबर जैसी यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर देने जा रही है। राज्य की इन झीलों की खराब हालत को संवारने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनी है। इसमें पर्यावरण विभाग के निदेशक नोडल अफसर होंगे और वन, शहरी विकास, उद्योग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ग्रामीण विकास, जल शक्ति विभाग, कृषि, बायो डायवर्सिटी बोर्ड और हिकोस्ट के अधिकारियों को बतौर सदस्य लिया गया है। इस कमेटी को एनजीटी में दायर किए गए एक्शन प्लान को अमल में लाना होगा।
गौरतलब है कि ये केस एनजीटी में जिन छह वाटर बाडीज यानी झीलों को लेकर था, उनमें गोबिंद सागर झील, पौंग डैम, रेणुका जी, रिवालसर, खजियार और धर्मशाला की डल लेक शामिल है। इनमें से रिवालसर और खजियार की हालत सबसे खराब थी। सीवरेज झील में मिक्स होने के कारण रिवालसर में तो मछलियां बार-बार मरती रहती हैं। इसके बाद ही एनजीटी के ध्यान में ये मामला आया था। एनजीटी के ऑर्डर पर ही इस बारे में एक कमेटी का गठन हुआ और इस बारे में एक एक्शन प्लान इस कमेटी ने बताया।
इस एक्शन प्लान को लागू करने के लिए अब नई कमेटी बनाई गई है। ये गठन मुख्य सचिव की ओर से जारी अधिसूचना में किया गया है। इसी कमेटी को ये काम दिया गया है कि वह हर झील को एक विशिष्ठ पहचान संख्या देगी। ये आधार नंबर की तरह एक संख्या होगी। इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश पर गंगा नदी को लिविंग एटीटी का दर्जा दिया जा चुका है।
मुख्य सचिव अनिल खाची की ओर से जारी आदेशों के अनुसार अब इस कमेटी को 25 फरवरी से पहले एक बैठक कर आगे की कार्य योजना बनानी होगी और हर काम की रिपोर्ट फिर एनजीटी तक जाएगी। इन झीलों को स्वच्छ रखने के लिए आसपास के क्षेत्रों की पंचायतों या शहरी निकायों को भी साथ जोड़ा जाएगा। इनके आसपास के अवैध कब्जों को भी हटाया जाएगा और इनमें किसी भी तरह की डंपिंग करने वालों पर कार्रवाई होगी।
ध्वनि प्रदूषण पर आरटीओ भी कर सकेंगे चालान
राज्य में ध्वनि प्रदूषण पर अब आरटीओ को भी कार्रवाई का अधिकार दे दिया गया है। ये भी अब अपने क्षेत्राधिकार में चालान कर पाएंगे। इससे पहले डीसी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एसपी, एएसपी, डीएसपी और एसएचओ के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के पास ये शक्तियां थी। यह अधिसूचना प्रधान सचिव पर्यावरण केके पंत ने जारी की है।