हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
वन कानूनों एफसीए और एफआरए के कारण कई साल से अटके हिमाचल के 605 प्रोजेक्ट आखिर क्लीयर हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रोजेक्टों में से 138 प्रोजेक्टों को सीधे अप्रूव कर दिया है, जबकि शेष 467 प्रोजेक्ट कुछ राइडर के साथ अप्रूव हुए हैं। मंजूर किये गए प्रोजेक्टों में सड़कों के ही 332 केस क्लीयर हुए हैं। करीब 50 स्कूल भवनों, आईआईटी, बिजली प्रोजेक्ट, पेयजल योजनाएं और हेलीपैड जैसे प्रोजेक्ट भी क्लीयर हो गए हैं।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में दर्ज छह याचिकाओं में आया है। केवल सिल्वीकल्चर को छोड़ एफसीए और एफआरए के बाकी सभी मामलों में राज्य सरकार को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला टीएन गोवर्धन थिरुमुल्लपड़ बनाम भारत सरकार केस मेें दिया है, जिसमें हिमाचल सरकार भी प्रतिवादी थी। राज्य सरकार की ओर से इस केस में सोलिसीटर जनरल भारत सरकार तुषार मेहता और हिमाचल सरकार के एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा ने पक्ष रखा था।
इस फैसले के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने 3 हाईड्रो प्रोजेक्टों, एक आईआईटी, मॉडल स्कूल, एक हाईब्रिड पावर प्रोजेक्ट, कार पार्किंग एक हेलिपेड, 4 ट्रांसमिशन लाइनों, 2 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों, 5 पेयजल योजनाओं, 4 हाइड्रो प्रोजेक्टों समेत कुछ अन्य मामलों में राइडर लगाकर मंजूरी दी है। इन मामलों में डीएफओ आगे की कार्यवाही पूरी करेंगे। कुछ मामलों में भारत सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय मंजूरी देगा। इसके अलावा 4 विद्युत सब स्टेशनों, 2 आंगनबाड़ी केंद्रों, 12 पेयजल योजनाओं समेत 289 अन्य प्रोजेक्टों को भी कोर्ट ने मंजूरी दी। अकेली सड़कों के ही 332 केस मंजूर हो गए हैं, जबकि 50 स्कूलों को भी मंजूरी मिल गई है।
दो बड़े नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट भी पास
सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़े नेशनल हाईवे प्रोजेक्टों में भी प्रक्रिया को सही मानते हुए सरकार को आगे बढऩे के निर्देश दिए हैं। इनमें 1337 करोड़ की लागत का ग्रीन कोरिडोर नेशनल हाईवे शामिल है। इसमें शिमला से फेडजपुल पांवटा ग्रीन कोरिडोर शामिल है। इसे एडीबी की फंडिंग से बनाया जाएगा। दूसरा ग्रीन कोरिडोर हमीरपुर और मंडी के बीच है, जिसे अभी अप्लाई नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 61.48 करोड़ की लागत वाला टू लेन एनएच 20ए मेहतपुर मुबारिकपुर को भी ग्रीन सिग्रल दे दिया है।
वन मंजूरियों में फंसी राज्य की विकास योजनाओं को क्लीयर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आए आदेश का हिमाचल सरकार स्वागत करती है। हम सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष सही तरीके से रखने में कामयाब हुए हैं और इस फैसले से भविष्य में वन मंजूरियों की प्रक्रिया को और सरल करने में भी मदद मिलेगी।
-राकेश पठानिया, वन मंत्री