शैलेश सैनी: नाहन।
प्रदेश का सिरमौर में आयोजित हुआ 25 वां जनमंच 80 वर्षीय अपंग बुजुर्ग महिला का सहारा बना है। नाहन के जमटा में आयोजित हुए जनमंच में एक ऐसा मामला आया जिसने उपस्थित जनसमूह को झकझोर कर रख दिया। मामला नाहन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सुरला पंचायत के गांव का है। गांव की 80 वर्षीय अपंग विधवा बुजुर्ग कृष्णा प्यारी 5 बच्चों की मां के होते हुए दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है। बेटे व बहू के द्वारा करीब 10वर्ष पूर्व धक्के व पत्थर मारकर घर से निकाल दिया था। बुजुर्ग लाचार महिला 10 वर्षों से गांव के अन्य लोगों की करुणा पर खून के आंसू रोने पर मजबूर है।
बड़ी बात तो यह है कि बुजुर्ग का पति हिमाचल सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में पटवारी रहा था। पति की मृत्यु के बाद मां ने अपने बड़े बेटे कुलदीप को करुणामूलक के आधार पर पति के जगह नौकरी दिलवा दी थी। कुछ समय के बाद जब बेटे की भी मौत हो गई तो बहू को मां के द्वारा करुणा मूल के आधार पर नाहन उपायुक्त कार्यालय में नौकरी लगवा दिया। नौकरी लगते ही बहू ने शारीरिक रूप से अक्षम सास को घर से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया। जनमंच में रो-रो कर मंत्री तथा विधायक डॉ राजीव बिंदल के समक्ष विधवा लाचार बुजुर्ग के द्वारा अपनी दास्तां सुनाई गई।
बुजुर्ग की हालत देखकर विधायक भी मंच छोड़कर लाचार महिला के पास पहुंच गए। लाचार महिला ने बताया कि उसका दूसरा बेटा भी उसी गांव में रहता है। सोहनलाल जोकि संपन्न हुआ गांव का प्रतिष्ठित व्यक्ति है बावजूद उसके उसने भी अपनी मां को पत्थर व धक्के मार कर घर में घुसने से इंकार कर दिया। यही नहीं उसने अपनी मां को धमकाते हुए भी कहा कि अगर वह फिर इस घर की और आई तो उसे जिंदा जला दूंगा। बुजुर्ग कृष्णा प्यारी की तीन बेटियां भी हैं जिनकी शादी हरियाणा में हो रखी है। दुर्भाग्य की विडंबना भी ऐसी है कि ना बेटियां और ना ही बेटे लाचार मां को आसरा दे पाए।
बुजुर्ग महिला ने बताया कि गांव की एक महिला शकुंतला देवी ने अपने घर में उसे आसरा दिया हुआ है। बुजुर्ग महिला का कहना है कि उस की औलाद भले उसे नहीं पूछ रही हो मगर जो घर उसके पति का है उसके बच्चे उस घर में भी उसे रहने नहीं दे रहे हैं। जनमंच में महिला ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि उसके जीवन के अंतिम दिन उसे अपने पति के घर में गुजारने दिए जाएं।