- 2600 की ओपीडी रोज, 167 फीसदी है बेड ऑक्यूपैंसी
- कैंसर अस्पताल केएनएच में सबसे ज्यादा इंडोर मरीज
- 7 लाख मरीज 10 महीनों में देख चुका है आईजीएमसी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्य में बीमारियों का जाल किस कदर बढ़ता जा रहा है, इसका अंदाजा राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। आईजीएमसी ने पिछले साल 8.50 लाख मरीज देखे थे। हैरानी की बात ये है कि यहां बेड क्षमता 950 बेड की है, लेकिन दाखिल होने वाले मरीज 1586 हैं। यानी 2600 की ओपीडी रोज है। इनमें से रोज 130 मरीज दाखिल करने पड़ते हैं।
इस कारण यहां 167 फीसदी बेड ऑक्यूपैंसी दर है। सबसे ज्यादा मरीजों की भीड़ कैंसर अस्पताल और केएनएच में है। कैंसर अस्पताल में तो बेड क्षमता भी बेहद कम है। इस साल के शुरुआती 10 महीनों में आईजीएमसी 7 लाख मरीज देख चुका है। इन मरीजों पर अब तक करीब 110 करोड़ का सामान एवं दवाएं मरीजों को निशुल्क दी गई हैं। सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में दिया गया लाभ भी इसमें शामिल है।
अस्पताल के पास प्राइवेट वार्ड की भी बेहद कमी है और इन्हें बढ़ाने के प्रस्ताव अब तक सिरे नहीं चढ़ पाए हैं। मरीजों के इस भारी रश के कारण मेडिसन, आर्थो और सर्जरी ओपीडी में भारी भीड़ रहती है और बैठने का इंतजाम भी जरूरत के अनुसार नहीं है। अब नया ओपीडी ब्लॉक खुलने के बाद कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
आंकड़ों में बीमारियों की बाढ़
मरीज वर्ष 2018 वर्ष 2019
आउटडोर-ओपीडी 8,15,602 6,65,836
इंडोर-आईपीडी 40,856 35,929
कैंसर मरीज 2467 2003
50 फीसदी तक पहुंची बीमा कवरेज
अच्छी बात ये है कि आयुष्मान भारत और हिमकेयर के कारण अब बीमा कवरेज करीब 50 फीसदी तक पहुंच गई है। इस साल के 10 महीनों में कुल इंडोर मरीज करीब 36 हजार थे और अब तक आयुष्मान और हिमकेयर में करीब 18000 मरीजों को यहां निशुल्क इलाज दिया जा चुका है। इन दोनों स्कीमों में निशुल्क इलाज के लिए दाखिल होना जरूरी है।
आईजीएमसी प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है। जाहिर है यहां मरीजों का रश भी ज्यादा होगा। बेड क्षमता बढ़ाने का मसला विचाराधीन है। नया ओपीडी ब्लॉक और चमयाणा ब्लाक बनने के बाद कुछ राहत मिल जाएगी।
-डॉ. जनकराज, एमएस आईजीएमसी।