हिमाचल दस्तक। नाहन
ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने प्रदेश में लंबे समय से चयनित 68 सरकारी स्कूलों में उर्दू भाषा के अध्यापकों पद रिक्त होने पर रोष जताया है।
ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसाईटी के मुख्य सलाहकार नसीम दीदान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष वकील शकील अहमद शेख और जिला सिरमौर मुस्लिम वैलफेयर कमेटी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त कैप्टन सलीम अहमद ने कहा कि मिठास भरी उर्दू जुबान राजनीति के जंजाल में उलझ कर दम तोड़ रही है।
उन्होंने कहा कि उर्दू जुबान एक जमाने में सूबे में हिन्दी के बाद दूसरे दर्जे पर थी। मगर धीरे-धीरे सियासतदानों की अनदेखी के चलते उर्दू जुबान सरकारी स्कूलों से गायब होती चली गई।
दीदान ने कहा कि करीब 14 वर्ष पहले सरकार ने उर्दू जुबान का वजूद बनाए रखने के लिए फरमान जारी करके हिमाचल में उर्दू भाषा के 100 अध्यापकों की तैनाती के आदेश जारी किए थे।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश सरकार अभी तक मात्र 32 सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की तैनाती करके उर्दू भाषा का अध्ययन प्रारंभ करवा सकी है, जबकि 68 चयनित सरकारी स्कूलों में उर्दू भाषा अध्यापकों के पद अभी भी रिक्त पड़े हैं, जो प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाती है।
उन्होंने बताया कि बीते 28 अप्रैल, 2018 को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर इस विषय पर पूरी स्थिति से अवगत करवाया गया था, मगर आज तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों में उर्दू भाषा अध्यापकों की तैनाती को लेकर सोसायटी ने 12 जुलाई को एक पत्र मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को लिखा है।