शिमला:
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एचआरटीसी के एक रिटायर कर्मचारी रणजीत सिंह द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए एचआरटीसी को समय पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्ति लाभ न देने पर लताड़ लगाई है।
याचिका का निपटारा करते हुए न्यायाधीश अनूप चिटकारा ने कहा कि निम्नस्तर से सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रति एचआरटीसी का रवैया दयनीय, अपमानजनक और असंवेदनशील है क्योंकि अपने पूरे कामकाजी जीवन के दौरान निगम के लिए निष्ठा से काम करने के बाद भी उन्हें अपने सेवानिवृत्त लाभों की रिहाई के लिए न्यायालयों का द्वार खटखटाना पड़ रहा है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मुकदमेबाजी न तो कर्मचारी के लिए मुफ्त में मिलने वाला भोजन है और न ही नियोक्ता के लिए परंतु एचआरटीसी समयबद्ध भुगतान करके अपने कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करने के बजाय मुकदमेबाजी पर पैसा खर्च करने को तैयार है।
कोर्ट ने एचआरटीसी को निर्देश दिए कि वह सेवानिवृत्त कर्मचारियों के इस तरह के सभी लंबित मामलों को शीघ्रातिशीघ्र निपटाए और सेवानिवृत्ति के 3 महीने के भीतर सभी की बकाया राशि का भुगतान करे। हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एचआरटीसीए सेवानिवृत्त लाभों का भुगतान करने से पहले यह सुनिश्चित करे कि सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक जांच या अन्य मुद्दा लंबित न हो।
न्यायाधीश ने यह भी दी हिदायत
न्यायाधीश अनूप चिटकारा ने यह निर्देश भी दिए कि यदि इन आदेशों की पालना में चूक होती है तो उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रति दिन 100 रुपये की दर से मुआवजे का भुगतान करना होगा, जो बिना किसी उचित स्पष्टीकरण के इन मामलों को निपटाने में देर करते हैं और फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे रहते हैं। इस क्षतिपूर्ति के अलावा, एचआरटीसी को रिटायरमेंट के चौथे महीने के पहले दिन से 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष (चक्रवृद्धि मासिक) की दर से तब तक ब्याज का भुगतान करना होगा, जब तक कि सेवानिवृत्त कर्मचारी के खाते में पूरी रकम को जमा नहीं किया जाता है।