शिमला:
बेंगलुरु में हो रही 107वीं इंडियन साइंस कांग्रेस की प्रोसीडिंग्स में हिमाचल के शिक्षक एवं शोधकर्ता अजय शर्मा का शोधपत्र छपा है। इसमें न्यूटन के 334 वर्ष पुराने नियम को संशोधित किया गया है। इस शोध के अनुसार न्यूटन का नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है और सिद्धांत के 334 वर्ष पुराने इतिहास में नियम को इस संबंध में बिना कुछ विशेष प्रयोगों के सही माना जा रहा है।
22 अगस्त, 2018 में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स के प्रेजीडेंट प्रो. गारडन पी. रामसे, लायोला यूनिवर्सिटी शिकागो, अमेरिका ने अजय के रिसर्च पेपर पर रिपोर्ट दी। इसमें कहा गया कि अजय शर्मा द्वारा वस्तु के आकार पर आधारित प्रयोगों में नियम गलत साबित हो सकता है। 2019 में नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने वस्तु के आकार न्यूटन के प्रभाव को जांचने के लिए संवेदनशील प्रयोग करने की सलाह दी।
इसी क्रम में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नई दिल्ली फिजिक्स डिपार्टमेंट के अध्यक्ष ने लिखित रूप में अजय को सुझाव दिया कि ये प्रयोग होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजूकेशन मुंबई में किए जा सकते हंै। इसके अलावा कई वैज्ञानिक संस्थानों ने अजय को प्रयोगों के रिजल्ट पेश करने को कहा है। इन प्रयोगों के लिए अजय सरकार से प्रायोशाला की सुविधाएं मांग रहे हैं।
अजय ने किया पीएम मोदी से आग्रह
अजय शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, मुख्यमंत्री, जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से आग्रह किया कि उन्हें प्रयोगों के लिए प्रयोगशाला की सुविधाएं दी जाएं, ताकि वे अंतिम रूप से न्यूटन के तीसरे नियम के संशोधन को सिद्ध कर सके। इस सफलता से भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा।