हिमाचल दस्तक। मंडी
हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा शिमला में 20 मई को एक समीक्षा बैठक की गई। इसमें वेप्कोस कंपनी को कहा गया कि वह जल्दी से दोबारा बल्ह ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाने हेतु लिडार (लेसर) के माध्यम से सर्वे करवा कर उसके उपरांत जल्दी से उनके ड्रीम प्रोजेक्ट का खाका तैयार किया जाए, ताकि उनका सपना पूरा हो सके।
बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, जोगिंद्र वालिया व सचिव नंद लाल वर्मा ने हैरानी जताते हुए कहा कि अक्टूबर, 2018 में ओएलएस द्वारा सर्वे किया जा चुका है, जिस पर उड्डयन विभाग ने 1 करोड़ खर्च करने के उपरांत 15 जनवरी, 2020 को हिमाचल सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार के बीच एक इकरारनामा भी किया है। इसके उनुसार 51% : 49% शेयर के अनुसार 2150 मीटर रनवे व ATR-72 सीटर छोटा हवाई जहाज घरेलू उड़ान के लिए ही प्रस्तावित है और अगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बोइंग 320 के लिए बनाना है तो उसके लिए 3150 मीटर लंबी हवाई पट्टी बनानी पड़ेगी। उसके लिए ओएलएस सर्वे के अनुसार सुंदरनगर की पहाड़ियां (बंदली धार) 500 मीटर तक काटनी पड़ेगी, जो कि कभी भी संभव नहीं है।
अब दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अब नए सिरे से 5 करोड़ खर्च कर लिडार सर्वे के माध्यम से हर हालत में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहते हैं जो कि कभी भी संभव नहीं है। बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने पूछा है कि बल्ह की उपजाऊ भूमि में ही घरेलू उड़ान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण क्यों किया जा रहा है।
बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने मांग की है कि इसे गैर उपजाऊ जमीन पर कहीं दूसरी जगह बनाया जाए। बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने सरकार से मांग की है कि प्रस्तावित लिडार सर्वे को मंडी की ऐसी जगह करवाया जाए जहां पर बिना पहाड़ काटे कम लागत से, बिना किसानों को उजाड़े 3150 मीटर हवाई पट्टी में ड्रीम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण किया जा सके। उस जगह पर सर्वे करवाया जाए अन्यथा प्रस्तावित 72 सीटर हवाई जहाज के लिए मंडी जिला में ही नंदगढ़, ढांगसीधार, मौवीसेरी आदि उपयुक्त जगह में बनाया जाए।
समिति के सचिव नंद लाल ने कहा कि बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में 8 गांव सियांह, टान्वा, जरलू, कुम्मी, छात्तरू, ढाबण, भौर, डुंगराइ के लगभग 2500 स्थानीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी आबादी 12000 से अधिक है और अधिकतर किसान प्रस्तावित हवाई अड्डे की वजह से भूमिहीन तथा विस्थापित हो जाएंगे और बल्ह क्षेत्र का नामोनिशान ही मिट जाएगा।
बल्ह कि जनता जो नकदी फसलें उगाकर जीवन चला रही है, उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा और पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे। समिति का मानना है कि जयराम सरकार एकतरफा फैसला बल्ह के किसानों के ऊपर थोप रही है, जिसे कदापि सहन नहीं किया जाएगा।
कोरोना महामारी के उपरांत बल्ह के सभी गांवों में जन-संपर्क अभियान चलाया जाएगा और सरकार के खिलाफ संघर्ष की रूपरेखा तैयार की जाएगी। सरकार से मांग की जाती है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाया जाए और इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को हर हाल में बचाया जाए।