राजेश मंढोत्रा। शिमला
कोरोना काल में फीस को लेकर राज्य के कुछ निजी स्कूलों की मनमानी अब सभी प्राइवेट स्कूलों पर भारी पडऩे वाली है। ट्यूशन फीस के अलावा अन्य तरह के फंड की वसूली पर रोक के लिखित और मौखिक निर्देशों को न मानने वाले निजी स्कूलों के लिए अब हिमाचल सरकार कानून बदलने जा रही है। मुख्यमंत्री के हाल ही के मंडी दौरे के दौरान कुछ अभिभावक उनसे मिले थे। ऐसी ही शिकायत मंत्रियों को फील्ड विजिट के दौरान मिली। शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई और सरकार ने कोई कड़ा कदम उठाने के निर्देश विभाग को दिए। फैसला यह हुआ है कि अब रूल्स में संशोधन से एक कदम आगे जाकर हिमाचल प्रदेश प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस रेगुलेशन एक्ट 1997 में ही संशोधन किया जाए।
इस बारे में विधेयक का ड्राफ्ट शिक्षा सचिव ने विधि विभाग को भेज दिया है और वहां से ओके होने के बाद इसे अगली कैबिनेट की मीटिंग में रखा जाएगा। इसके बाद 26 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में इस विधेयक को पारित किया जाएगा। विधेयक में प्रावधान किया जा है कि प्राइवेट स्कूलों को अब अपने अकाउंट अर्थात फीस की सारी जानकारी सरकार के सामने रखनी होगी। इसके लिए एक सीए के माध्यम से ऑडिट की व्यवस्था कानून में की जा रही है। इन स्कूलों पर वर्दी और किताबों की खरीद को लेकर भी कुछ बंदिशें लग सकती हैं।
फीस तय कैसे होगी, इस बारे में भी कोई प्रक्रिया कानून का हिस्सा हो सकती है। सरकार के निर्देशों और फीस से संबंधित बंदिशों की अवहेलना पर निजी स्कूलों के खिलाफ पैनल परमिशन भी लाए जा सकते हैं। कोरोना काल में राज्य के स्कूल अब तक बंद हैं। 1 फरवरी से सरकार ने समर क्लोजिंग स्कूलों को अभी खोला है और 15 फरवरी से बाकी स्कूल खुलेंगे।
ऐसे शुरू हुआ स्कूल फीस का झगड़ा
कोरोना काल के दौरान पूरी फीस चार्ज करने पर पूर्व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने एक व्यवस्था कर लिखित निर्देश दिए थे कि निजी स्कूल इस अवधि में केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं। निजी स्कूल इन निर्देशों के खिलाफ हाईकोर्ट गए और वहां से अपने फेवर में फैसला ले आए। इसके बाद राज्य सरकार को अपने निर्देश वापस लेने पड़े। यही सबसे बड़ी वजह बनी कि निजी स्कूलों ने पूरी फीस लेने के लिए अभिभावकों को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया।
सरकार पर दबाव बढऩे के बाद फिर से निर्देश जारी हुए कि फीस से संबंधित विभाग संबंधित जिलों के डीसी हैंडल करेंगे। इन निर्देशों को जारी करने के लिए शिक्षा विभाग ने केवल नियमों में बदलाव किया था, लेकिन इससे भी अभिभावकों को बचाया नहीं जा सका और कई जिलों में निजी स्कूलों ने एनुअल चार्ज वसूलना शुरू कर दिए।
शिक्षा विभाग ने अब कानून में संशोधन के लिए ड्राफ्ट बना लिया है जिसे अगली कैबिनेट में रखा जाएगा। मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को अगले बजट सत्र में विधानसभा में रखने के निर्देश दिए हैं।
-राजीव शर्मा, शिक्षा सचिव