- युवाओं को टिकट देने से परेशान हैं दिग्गज
- कांग्रेस के संगठित होने के ड्रामे पर कार्यकर्ताओं को नहीं विश्वास
- आज होगी उम्मीदवारों की तस्वीर साफ
अरविंद शर्मा। शिमला : प्रदेश में 2 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाल उपचुनाव में अभी गर्माहट नहीं आई है। दोनों राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता अभी तक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में ही कार्यक्रम में डटे हुए हैं।
वैसे तो दोनों दलों ने बड़े नेताओं को बूथ वाइज काम दिया और दलों ने दशहरा उत्सव के बाद सबको उपचुनाव में काम करने के निर्देश भी दे दिए हैं। दोनों क्षेत्रों में नामांकन भरने वाले सभी उम्मीदवारों ने अपना प्रचार शुरू कर दिया है। पच्छाद में भाजपा के 3 बागी मैदान में हंै। भाजपा इनको मानने की कोशिश में लगी है। भाजपा की मान-मनौती का असली पता वीरवार को ही चलेगा कि पार्टी बागियों का नामांकन वापस करवाने में कितनी सफल रहती है। पच्छाद में विद्यार्थी परिषद की कार्यकारिणी ने तो पार्टी को यहां तक कह दिया है कि सोमवार को रीना कश्यप का ही नामांकन वापस करवाया जाए।
दोनों क्षेत्र मेंं स्थिति अब वीरवार को ही साफ हो पाएगी।वहीं प्रदेश में सतारूढ़ दल भाजपा ने प्रदेश में भी मोदी मॉडल के आधार पर युवाओंं को टिकट देकर पुराने दिग्गजों की भी नींद हराम कर दी है। पच्छाद में तो टिकट के दावेदार ने पार्टी के विरोध में हुंकार भर दी है, लेकिन धर्मशाला में इन दिग्गजों को अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। भाजपा के दिग्गज मोदी-शाह के डर से भितरघात की स्थिति में नही हैं। धर्मशाला के पुराने इन दिग्गजों को विशाल नैहरिया की उम्मीदवारी भी हजम नहीं हो रही है।
धर्मशाला में युवा वर्ग तो नैहरिया के साथ है, लेकिन नैहरिया के विरोध के चर्चे उनके साथ चलने वाले ही दिग्गज कर रहे हंै, जिसे भाजपा की युवा ब्रिगेड भी पचा नहीं पा रही है। नैहरिया के कुछ समर्थकों ने पार्टी से ऐसे लोगों से आगाह रहने की गुजारिश तक कर डाली है। इस चुनाव में कांगे्रस से ज्यादा भाजपा को काली भेड़ों पर नजर रखने की जरूरत है।
धर्मशाला में चौधरी बिरादरी पर सबकी नजर
भाजपा-कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी गद्दी से संबंधित हैं। दोनों पार्टियों की नजर चौधरी वोट बैंक पर है। धर्मशाला में सबसे अधिक वोट चौधरी बिरादरी के हैं। भाजपा-कांग्रेस इसी बिरादरी के नेताओं को ऐसे क्षेत्रों में तैनात कर रही है।
पच्छाद में स्थानीय मुद्दों पर होगी लड़ाई
पच्छाद में भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई केवल पच्छाद के स्थानीय मुद्दों पर रहेगी। हालांकि भाजपा की प्रत्याशी रीना कश्यप मतदाताओं के लिए नया चेहरा है और कांग्रेस के पास उसके विरोध में कोई बड़ा मुद्दा तो नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी गंगूराम मुसाफिर 7 बार विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं तो भाजपा उनके विरुद्ध स्थानीय मुद्दों को ही भुनाएगी। कांग्रेस भी पच्छाद में प्रदेश सरकार को घेरने के लिए प्रदेश स्तर के मुद्दों पर चुनाव में प्रचार करेगी।