आनंद सिंह
बंगाल के चुनाव में भाजपा पूरा जोर लगा रही है। वह 200 प्लस सीटें जीतना चाहती है लेकिन, भाजपा के रणनीतिकारों को मालूम है कि यह इतना आसान नहीं है। 10 साल तक अगर ममता बनर्जी वहां मुख्यमंत्री रही हैं तो निश्चित तौर पर उन्होंने काम किया है। भाजपा जिस तरीके से बंगाल में अपनी रणनीति के तहत काम कर रही है, वह कितनी सफल होगी, यह तो वक्त तय करेगा। अभी एक ईमानदार समीक्षक के रूप में आपको कई सीटों पर कांटे की टक्कर लग रही है तो कई सीटों पर भाजपा या फिर तृणमूल कांग्रेस अत्यंत प्रभावी हैं।
आप आज की तारीख में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि ऊंट किस करवट बैठेगा। हां, टक्कर जोरदार है, इसमें कोई दो राय नहीं। लेफ्ट, कांग्रेस जैसी पार्टियां इस लड़ाई में बहुत पीछे हैं। आप उन्हें बाराती कह सकते हैं। 10 साल पहले जब ममता बनर्जी ने बंगाल की हुकूमत संभाली थी, तब राज्य का अर्थतंत्र चौपट था। सरकारी मुलाजिमों को वेतन देने के भी लाले थे। अब वह बात नहीं रही। हर महीने की 30 तारीख को वेतन मिल जाता है। इस बीच, हजारों उद्योगों को हल्दिया में शिफ्ट किया गया। हल्दिया में पहले से भी उद्योग चलते रहे हैं। अभी बढिय़ा तरीके से चल रहे हैं, नए उद्योग भी लग रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अनूप बताते हैं : कोलकाता का मिजाज अलग है, सिलीगुड़ी का बिल्कुल अलग और खडग़पुर का तो एकदम ही अलग। इन तीनों स्थानों पर तृणमूल कांग्रेस बेहद मजबूती के साथ लड़ रही है। हां, तृणमूल के सामने नि:संदेह भाजपा ही डटी है पर भाजपा का माइनस फैक्टर यह है कि उसका यहां कैडर नहीं है। किराये के लोग हैं जो भाजपा में गए हैं।
कोलकाता में बेशक भाजपा का संगठन वजूद में दिखता है पर कोलकाता को ही पूरा बंगाल मान लेना भारी भूल होगी। यह सच है कि बीते चार दिनों में कई लोग तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए पर यह भी सच है कि शुभेंदु दा के लिए काम करने वाले 30 से ज्यादा तृणमूल कार्यकर्ताओं को पार्टी ने 3 साल के लिए बाहर कर दिया है।
जाहिर है, तृणमूल कांग्रेस को इस बात की ज्यादा परवाह नहीं कि चिल्लर टाइप के लोग भाजपा में जा रहे हैं तो वह विधवा प्रलाप करे। तृणमूल कांग्रेस ने अपने कैडर के लिए एक लाइन का गाइडलाइन जारी किया है: लड़ सकते हो तो लड़ो वरना हटो। जाहिर है, तृणमूल कांग्रेस किसी भी किस्म की नरमी दिखाने के मूड में नहीं है।
कोलकाता के एक बड़े समाचार पत्र समूह के पत्रकार नवीन कहते हैं: ममता बनर्जी का व्हील चेयर पर बैठ कर लोगों को संबोधित करना अलग ही मैसेज कन्वे कर रहा है। जो लोग किन्हीं कारणों से ममता से नाराज थे, वे अब पसीज रहे हैं। हालांकि, भाजपा के नेता यह लगातार कह रहे