भाजपा विधायक दल की बैठक में उठा मामला, मंत्री को जानकारी नहीं
हर विधानसभा क्षेत्र के दो गांवों को हर साल देने थे 40 लाख
13 करोड़ सरेंडर करने के साथ शेष धनराशि लौटाने के आदेश
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला
राज्य में अनुसूचित जाति बस्तियों के विकास के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना का बजट विभाग ने ही सरेंडर कर दिया है। वित्त विभाग से चर्चा के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अफसरों ने इसे इस तर्क के आधार पर सरेंडर किया है कि न तो पैसा खर्च हो रहा है और न ही खर्चे हुए धन के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा हो रहे हैं। सरेंडर किए गए धन की कुल राशि करीब 13 करोड़ है। विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से लिखे गए अर्धशासकीय निर्देशों में सभी जिलों के उपायुक्तों को ये भी निर्देश हैं कि इस योजना की शेष बची हुई राशि भी लौटा दी जाए।
ये मामला जब रविवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में उठा तो सरकार के ध्यान में मसला आया। विधायक दल में ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके स्तर पर ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। नाचन से विधायक विनोद कुमार ने सभी जिलों को भेजे गए निर्देशों का एक पत्र भी बैठक में रखा। इस पर कई विधायकों ने आपत्ति जताई। कइयों ने पूछा कि सरकार से चर्चा किए बिना अफसर अपने स्तर पर ऐसे फैसले कैसे ले रहे हैं? हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूरे मामले की वस्तुस्थिति साफ करने को कहा है। संबंधित मंत्री और मुख्य सचिव से भी इस बारे में पूरी प्रक्रिया बताने को कहा गया है।
इंपावरवेंट ऑफ माइनोरिटी, एससी, एसटी एंड ओबीसी (ईसोम्सा) विभाग निदेशक हंसराज चौहान ने बताया कि हमारे विभाग ने स्कीम बंद नहीं की है। एक साल विशेष की अवधि में नहीं खर्चे गए धन को वापस मांगा गया है, ताकि इसका प्रयोग किया जाए सके। ये पत्र भी वित्त विभाग के तहत प्लानिंग के तहत आया था।
यह काम होना था इस योजना में
मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना राज्य में वर्ष 2010-11 में शुरू की गई थी। इसमें हर चुनाव क्षेत्र के ऐसे दो गांवों को प्रति गांव 20 लाख रुपये विकास के लिए मिलता है, जिनकी आबादी में 40 फीसदी से ज्यादा एससी की जनसंख्या हो। इस योजना में बजट 2014-15 से मिलना शुरू हुआ। लेकिन अब विभाग ने 2018-19 तक का बजट सरेंडर कर दिया है। विधायकों का आरोप है कि इससे चल रहे काम भी ठप हो जाएंगे।