चार मंजिल तक भवन बनाने की अनुमति देने की तैयारी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
राज्य के शहरों में अब भवन निर्माण नियम एक से होंगे। चाहे मसला सेट बैक का होगा या पार्किंग और एटिक की ऊंचाई का, सभी नियम एक समान होंगे। नगर नियोजन विभाग ने इस पर काम शुरु कर दिया है। इसके लिए एक विभागीय समिति का गठन किया गया है। ये समिति टीसीपी सचिव को इस बारे में रिपोर्ट देगी। इसी आधार पर फिर मामला कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। दरअसल वर्तमान में सभी प्लानिंग एरिया या शहरी निकायों में टीसीपी एक्ट तो लागू है, लेकिन इसके लिए शहरी निकाय ने अपने सुविधा या प्रचलन के हिसाब से नियम बना रखे हैं। कहीं पार्किंग के लिए ढाई मीटर की हाइट है तो कहीं पूरे फ्लोर को ही पार्किंग बना दिया जाता है। एटिक में भी एकरूपता नहीं है। स्लोप और अन्य बाइलॉज में भी बहुत अंतर है।
मनाली, ऊना और सोलन जैसे शहरों के भवन निर्माण नियमों में बेहद अंदर है। ऐसा ही अन्य शहरों के साथ भी है। इसलिए न केवल आवेदक के लिए ये प्रक्रिया असमंजस वाली है, बल्कि सरकार के लिए भी एनजीटी एवं अन्य अदालतों में चल रहे मामलों को डील करना मुश्किल हो गया है। नई प्रक्रिया के तहत अब एकरूपता लाई जाएगी। साथ ही ये भी किया जाएगा कि भवन निर्माण के लिए चार मंजिल तक अनुमति देने का प्रावधान एकमुश्त कर दिया जाए।
वर्तमान में शिमला के कोर और ग्रीन एरिया में इसे ढाई मंजिल तक एनजीटी ने बांध दिया है। बाकी शहरों के लिए ऐसा कोई आदेश नहीं है। लेकिन सरकार अब इसे और सरल करने के लिए चार मंजिलों का प्रावधान करना चाह रही है। विभागीय कमेटी को इस पर भी अपने सुझाव एवं सिफारिशें देनी होंगी। वर्तमान में राज्य में 54 शहरी निकाय हैं और सभी में टीसीपी एक्ट लागू है।
हर शहर के डेवल्पमेंट प्लान संशोधित होंगे
टीसीपी रूल्स को संशोधित करने के लिए सरकार को केवल कैबिनेट में फैसला लेना होगा। लेकिन इसके बाद सभी प्लानिंग एरिया और शहरी निकायों के डेवल्पमेंट प्लान भी बदलने होंगे। इन्हीं प्लान में इससे पहले संबंधित शहरी निकाय में प्रचलित नियमों के अनुसार ही भवन निर्माण संबंधी प्रावधान किए गए हैं। इन्हें भी नए सिरे से अधिसूचना जारी कर बदलना होगा।
टीसीपी एवं शहरी विकास के सचिव सी. पालरासू ने बताया कि सभी शहरों में भवन निर्माण नियमों की एकरूपता बनाने के लिए एक विभागीय कमेटी का गठन किया गया है। ये कमेटी इस पर एक विभागीय कमेटी सुझाव देगी कि प्लानिंग एरिया में क्यों न चार मंजिल तक भवन बनाने की अनुमति दी जाए?