एक मुलाकात ने हिला दी भाजपा की सियासत
हिमाचल दस्तक :उदयबीर पठानिया: सियासी चिंगारी : शुक्रवार देर शाम एक ऐसी खबर धर्मशाला में फैली की भाजपाइयों समेत कांग्रेसियों की नींदे हराम हो गईं। कांग्रेसी खुशी के मारे नहीं सोए तो भाजपाई घबराहट में झपकी तक नहीं ले पाए। खबर आई कि कांग्रेस की एक नेत्री सीएम से मिलीं । मुलाकात हुई इसकी पुष्टि तो भाजपाई कर रहे हैं, पर बात क्या हुई,किसी को पता नहीं है।
भाजपाई इस कशमकश में हैं कि क्या यह नेत्री पुन: भाजपा ज्वाइन करेंगी या फिर बाहर से ही भाजपा को मत समर्थन का सहारा बनेंगी। कोई दो राय नहीं हैं कि जिन नेत्री की मुलाकात की खबर है, वह वजूद तो रखती हैं। इसकी वजह से भाजपा काडर में यह हल्ला मच गया है कि उनके वजूद का क्या होगा ? कांग्रेसियों से गुहारें लगाई जा रहीं हैं कि मैडम को रोको।
कांग्रेसी एक ही रट लगाए हुए हैं कि न भाई न,हमें बख्शो। इस कथित खबर के बाहर आते ही भाजपा के भीतर एक और भूचाल आ गया है। यह खबर खुलासा कर रही की अगर धर्मशाला में यह उल्टफेर हुआ तो पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में भी भूकंप आ जाएगा। धर्मशाला के एक आला कांग्रेसी नेता जी साल 2022 के आम विधानसभा चुनावों में भाजपा के खास बन जाएंगे। भाजपा की टिकट इनको पालमपुर से मिलेगी । इस खबर से पालमपुर के भाजपाई भी शुक्रवार रात को ही 2022 की जंग के लिए ‘जाग’ गए।
सवाल उठ गया कि यह हो क्या रहा है ? अपनों से दूरियां और बेगानों से ऐसी क्या मजबूरियां की सरेंडर करने की नौबत आ रही है ? पालमपुर में हल्ला मच गया है कि बेगाने ही पालने हैं, तो अपनों को किश्तों में सियासी जहर क्यों पिलाया जा रहा है ? पालमपुर को नेताओं की चाहतों का पालना क्यों बनाया जा रहा है ? जबकि हार्ड कोर कांग्रेसी इस एपिसोड से बल्लियों उछल रहे हैं। इनका कहना है कि जो भी हो रहा है,भला ही हो रहा है। कल होता आज हो,आज होता अभी हो। भाजपाई इतने मजबूर हैं कि अपने आला नेताओं को समझा नहीं पा रहे और कांग्रेसी उनसे कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं।
शक तो 7 साल पहले ही था…
इस हो-हल्ले में एक बात जरूर भाजपा-कांग्रेस के काडरों में एक जैसी है। इनका कहना है कि वीरभद्र सरकार में भी कांग्रेस के बड़े नेता पालमपुर के चंद भाजपाइयों को मदद देते रहे थे। जब इनको टोका जाता था तो पालमपुर के ही एक बड़े नेता जी के वजूद का जिक्र करके यह अपना वजन बनाते थे। यह तो अब पता चला कि वजूद और वजन अपना बना रहे थे। शक तो पहले ही था, पर इतनी जल्दी हक भी बना लेंगे, इसका अंदेशा न था।