नई दिल्ली : दिल्ली के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र संशोधित नागरिकता कानून ” सीएए ” के खिलाफ मंगलवार को मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक आयोजित मार्च में शामिल हुए।
मार्च शुरू होते ही ‘हल्ला बोल’ और ‘छात्र एकता जिंदाबाद’ के नारे गूंजने लगे। इस मार्च में अनेक नागरिकों ने भी हिस्सा लिया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ‘जेएनयू’ जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र भी इसमें शामिल हुए। पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कहा कि न केवल नागरिक संस्थाएं इस कानून का विरोध कर रही हैं बल्कि कई मुख्यमंत्रियों और दलों ने भी इसकी आलोचना की है।
मार्च में शामिल हुई चितरंजन पार्क की किरन ने सरकार पर देश की ‘विविधता को नष्ट’ करने आरोप लगाया। वह अपने साथ अपनी दो बच्चियों को भी लाई थीं। किरन ने कहा,”जो भी हो रहा है वे उनकी बेटियां टेलीविजन पर देख रहीं हैं और मैं उन्हें स्कूल से सीधे यहां लाई हूं। उन्हें पता होना चाहिए कि देश में क्या हो रहा है।”
दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा सानिया ने कहा,”प्रदर्शन करना हमारा अधिकार है। प्रदर्शनों ने राजनीतिक नेतृत्व को इस हद तक बौखला दिया है कि वे अपने बयान बदल रहे हैं। हम तब तक प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक सीएए वापस नहीं ले लिया जाता।”