शिमला:
मेडिकल कॉलेजों में फर्जी नियुक्त पत्र पर नौकरी दिलाने का मामला शिमला से चंबा ट्रांसफर कर दिया गया है। फिलहाल इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन कहीं न कहीं महिला ही इस मामले में संदेह के घेरे में आती प्रतीत हो रही है।
अब पुलिस जांच के बाद ही यह खुलासा हो पाएगा कि मामला ठगी का है या कुछ और, क्योंकि चंबा के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले तीनों युवक अलग-अलग स्थानों पर नौकरी कर रहे थे और सरकारी नौकरी पाने के झांसे में आ गए।
गौरतलब है कि मंगलवार को तीन युवक आईजीएमसी पहुंचे और उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक को बताया कि उनकी नियुक्ति यहां हुई है। चिकित्सा अधीक्षक हैरान हो गए कि आईजीएमसी में तो इस प्रकार की कोई नियुक्तियां नहीं गई हैं और न ही कोई विज्ञापन प्रकाशित किया है। संदेह होने पर यह मामला शिमला पुलिस को सौंपा गया। जांच में पुलिस ने पाया कि इस मामले में तीन लोग नहीं, बल्कि एक महिला भी शामिल है। आईजीएमसी के सूत्रों के अनुसार महिला का किसी अन्य व्यक्ति से संपर्क भी है, जिसने कथित तौर पर लोगों को सरकारी नौकरी का झांसा दिया और महिला को मध्यस्थता के तौर पर इस्तेमाल किया।
बताया जा रहा है कि महिला ही तीन युवकों को शिमला में सेमिनार के लिए लेकर आई थी और जब यहां कोई सेमिनार नहीं हुआ और तीनों के पास पैसे खत्म हो गए तो वह चिकित्सा अधीक्षक के पास पहुंचे थे। इसके बाद ही पूरे मामले का खुलासा हुआ। बताया जा रहा है कि तीनों युवक अलग-अलग स्थानों पर निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे थे, लेकिन झांसे में आने के बाद वह नौकरी भी छोड़ दी। जानकारी मिली है कि महिला किसी अन्य व्यक्ति का नाम भी ले रही है और यह भी कह रही है कि वह कुछ नहीं जानती।
शिमला के एसपी ओमापति जम्वाल ने बताया कि मामला चंबा जिला से संबंधित है और उसे चंबा के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है। चंबा की पुलिस अधीक्षक डॉ. मोनिका भुटांगरू ने कहा कि इस मामले की जानकारी शिमला पुलिस से मिली है। जब यह मामला उन तक पहुंचेगा तो इसकी जांच आरंभ की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है।