आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया नया डिवाइस, दूरदराज और गांवों की महिलाओं को नहीं जाना होगा अब अस्पताल, एक्यूरेसी के साथ माइक्रोस्कोप की तस्वीरों का करेगा विश्लेषण
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। मंडी : आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं की मदद से सर्वाइकल कैंसर जांच के लिए डिवाइस विकसित किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पावर होगा। यह ज्यादा एक्यूरेसी के साथ माइक्रोस्कोप की तस्वीरों का विश्लेषण करेगा। बंगलुरु के एंद्रा सिस्टम्स प्रा. लि. के सहयोग से यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।
यह शोध आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रो. डॉ. अनिल साव और अर्नव भावसर के नेतृत्व में एक टीम ने उनकी शोध छात्राओं सुश्री सृष्टि गौतम और सुश्री क्राति गुप्ता के साथ किया। टीम ने उद्योग साझेदारों के साथ एआई-आधारित एल्गोरिदम का विकास किया, जो डिवाइस को अपने-आप सर्वाइकल कैंसर की जांच करने की सक्षमता देता है। सर्वाइकल कैंसर इस बीमारी के सबसे जानलेवा स्वरूपों में एक है।
शुरू में पता लगना और उपचार होना सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है। सर्वाइकल कैंसर की जांच का गोल्ड स्टेंडर्ड ‘पैप स्मियर टेस्ट’ है, जिसमें विशेषज्ञ सर्विक्स के सेल्स निकाल कर माइक्रोस्कोप से जांचते हैं। पैप स्मियर टेस्ट से नि:स्संदेह सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता लग जाता है, पर इसमें विश्लेषण व्यक्तिगत होता है और गलत निदान का खतरा रहता है।
विकसित डिवाइस के व्यावहारिक लाभ यह हैं कि एंद्रा का प्वाइंट-ऑफ केयर सिस्टम पोर्टेबल है। जबकि प्रचलित जांच का साधन ऐसा नहीं है। पोर्टेबल सिस्टम मरीज के घर पर पहुंच जाएगा। प्रचलित जांच व्यवस्था में लोगों को लैबरोटरी जाना ही होता है।
-प्रो. डॉ. अर्नव भावसर, आईआईटी मंडी
एक्यूरेसी 60 और 85 प्रतिशत के बीच
विभिन्न शोध से यह सामने आया है कि पैप स्मियर टेस्ट की एक्युरेसी 60 और 85 प्रतिशत के बीच है। पैप स्मियर टेस्ट सर्वाइकल कैंसर की मानक जांच है। हालांकि इसके लिए मरीज को अस्पताल जाना होता है और विशेष कर दूरदराज की महिलाओं के लिए यह कठिन होता है, जिनके नजदीक निदान की बुनियादी सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं, इस जांच के परिणामों की व्याख्या देने में विलंब हो सकता है। सर्वाइकल सेल्स सामान्य या असामान्य हैं, इसका वर्गीकरण सेल के न्युक्लियर के सेगमेंटेशन/ पृथक्कीकरण पर निर्भर करेगा।
इनका रहा सहयोग
डिवाइस के डिजाइन और विकास में एंद्रा सिस्टम्स प्रा. लि. के आदर्श नटराजन, हरिनारायण और निर्मल जीत ने सहयोग दिए। उन्होंने डिवाइस और एल्गोरिद के इंटरनेशनल पेटेंट के लिए 2016 में आवेदन किए और पिछले दो वर्षों में उनके शोध परिणाम कई अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित और सम्मेलनों में प्रस्तुत किए गए। डिवाइस के प्रोटोटाइप का क्लीनिकल परीक्षण किदवई मेमोरियल अस्पताल, बंगलुरु, मणिपाल अस्पताल, कर्नाटक और राज राजेश्वरी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, बंगलुरु में जारी है।
भारत में पैथोलॉजिस्ट की कमी की समस्या कम करने में इस एल्गोरिद्म से मदद मिलेगी, क्योंकि यह पैप स्मियर टेस्ट की जांच को स्वचालित कर देगा। इस तरह पैथोलॉजिस्ट का बहुत समय बचेगा। साथ ही जांच का खर्च भी कम होगा और परिणाम अधिक सटीक होंगे।
-डॉ. अनिल साव, आईआईटी मंडी