अंकिता पंडित। शिमला:
एक ओर जहां हिमाचल में बढ़ते कैंसर रोगी चिंता का कारण हैं, तो वहीं इस जानलेवा रोग से लडऩे की सुविधाओं का न होना भी दिक्कतों को बढ़ा रहा है। मंगलवार को विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर सबसे हैरान करने वाला आंकड़ा कैंसर के मरीजों की बढ़ती गति है। आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में 2019 में करीब 25,000 कैंसर के मरीजों का इलाज किया गया।
अस्पताल में अभी भी 1990 के कैंसर के मरीज भी फॉलोअप के लिए पहुंचते हैं। यानी समय पर उपचार मिले तो इस रोग से लड़ा जा सकता है। अस्पताल आ रहे मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं में सर्वाइकल यानी बच्चादानी का कैंसर सबसे ज्यादा पाया जा रहा है। पुरुषों में लंग्ज या मुंह एवं गले के कैंसर के मामले ज्यादा हैं, जो तंबाकू के कारण हैं। इसकी मुख्य वजह धूम्रपान है। कैंसर-डे के उपलक्ष्य पर लोगों को कैंसर के बारे में डॉक्टरों द्वारा जागरूक किया जाएगा।
इससे कि लोग इसके लिए सावधानियां बरतें। जहां तक इस जानलेवा रोग से लडऩे की बात है, तो राज्य में अभी भी पैट स्कैन की सुविधा ही नहीं है। इस स्कैन से पता चलता है कि शरीर के किस हिस्से में कैंसर है और यह कितना फैल चुका है। पैट स्कैन के लिए आईजीएमसी से भी चंडीगढ़ रेफर करना पड़ रहा है। जब तक यह टेस्ट होता है, तब तक कैंसर शरीर में और फैल गया होता है।
दाखिल मरीज 150 और बेड केवल 45
कैंसर अस्पताल शिमला में इस समय 150 के लगभग कैंसर के मरीज दाखिल हैं। जबकि अस्पताल में 45 ही बैड लगे हैं। साथ ही कैंसर के 3 चाइल्ड पेशेंट भी अस्पताल में मौजूद हैं। बच्चों में ज्यादात्तर लिक्यूमा कैंसर, हड्डियों को कैंसर या ब्लड कैंसर पाया जा रहा है। साथ ही रेडिएशन के लिए रोजाना 100 के करीब मरीज होते हैं व इसी प्रकार कीमों के लिए भी रोजाना अस्पताल में 60 से 70 मरीज होते हैं। 120 के करीब मरीज हर दिन रेडियोथेरेपी करवाते हैं। गौर रहे कि कीमों में भी 18 बैड लगे हैं जबकि कैंसर मरीजों की संख्या भी 60 से 70 है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे मरीजों का उपचार किया जा रहा है।