हिमाचल दस्तक। रमेश सिद्धू
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को चंडीगढ़ से शिमला लाने के लिए प्रदेश सरकार का हेलिकॉप्टर भेजना राजनीति के मठाधीशों के सामने एक उदाहरण पेश कर गया।
जयराम ठाकुर ने बताया कि जहां संवेदनशीलता होती है, दया व करुणा होती है वहां अपने-पराये, तेरे-मेरे की दीवार नहीं होती। दया धर्म का मूल है और इसके लिए जरुरी है मानव में मानवीयता का गुण होना। यानी हमारे भीतर ऐसी संवेदनशीलता कि किसी व्यक्ति को दुख या तकलीफ में देखकर हम भी उस पीड़ा का अहसास कर सकें। सामान्य तौर पर हमें अहसास तो होता है, लेकिन सिर्फ वहां जहां हमारा अनुराग हो या खून से जुड़ा रिश्ता हो।
इसे विडंबना ही कहेंगे कि आज हमने अपनी नैतिकता और संवेदनशीलता को सिर्फ अपनो तक सीमित करके रख दिया है जिसकी सीमा बदलती तो है, लेकिन अपने स्वार्थ के अनुसार। राजनीति की बात की जाए तो आज के परिदृश्य में तो खास तौर पर विपक्षियों के प्रति संवेदनशीलता के किस्से कम ही सुनने को मिलते हैं।
जयराम ठाकुर ने यह भी दिखाया कि राजनीति में सफलता की ऊंचाइयां हासिल करने के बावजूद विपक्षी नेताओं के प्रति संवेदनशील रहा जा सकता है। अपनों के लिए आत्मीयता और विपक्ष के प्रति बैरभाव, ऐसा जरुरी नहीं। ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं, इससे पहले वीरभद्र-धूमल के दौर को ही ले लीजिए। उस समय एक-दूसरे के प्रति कभी ऐसा भाव नजर नहीं आया। जयराम ठाकुर ने विक्रमादित्या सिंह के एक फोन पर पूर्व मुख्यमंत्री को लाने के लिए हेलिकॉप्टर भेज दिया।
मुख्यमंत्री के इस कदम से प्रदेश की राजनीति के पुरोधाओं को यह संदेश भी मिला कि प्रदेश में अब सिर्फ बदले की राजनीति नहीं चलेगी। आज के दौर में सियासत सिर्फ सियासी मंच पर होगी, निजी या बदलाखोरी की नहीं। यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कहीं गई एक लाइन का जिक्र प्रासंगिक होगा कि ‘इंसान बनो, केवल नाम से नहीं, रुप से नहीं, शक्ल से नहीं, हृदय से, बुद्धि से, सरकार से, ज्ञान से।’ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने कृत्य से वास्तव में इस ‘अटल वाक्य’ को जी गए, जिसके लिए वो निश्चय ही सराहना के पात्र हैं और बधाई के भी।
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