17 देशों के 45 हज़ार प्रतिनिधि लेंगे भाग: प्रो. भक्तवत्सल
हिमाचल दस्तक, राजीव भनोट। ऊना
संस्कृत भारती विश्व का पहला संस्कृत महासम्मेलन दिल्ली में 9 से 11 नवंबर तक आयोजित करने जा रही है, जिसमें अमेरिका सहित 17 देशों के 45000 संस्कृत भाषा के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह जानकारी संस्कृत भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संस्कृत अकादमी हिमाचल के सचिव प्रोफेसर भक्तवत्सल शर्मा ने दी। शुक्रवार को विश्राम गृह में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए संस्कृत भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर भक्तवत्सल शर्मा ने कहा कि संस्कृत भारती 36 वर्षों से देश व विदेश में संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में हर जगह संस्कृत भाषा के केंद्र खोले गए हैं। अनेक संस्कृत भाषा के शिक्षक इस संस्था में कार्यरत हैं, जो आमजन को संस्कृत सीखने में मदद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसका कार्य 17 देशों में चल रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व मे ही भाषा, जाति, क्षेत्र जैसी कुरीतियों को खत्म करने में सहायक हो सकती है। उन्होंने कहा कि भाईचारा, स्नेह, गुरुजन आदर, राष्ट्र सेवा के साथ त्याग, तप, दया और धर्म के संदेश को घर-घर पहुंचाने में संस्कृत भाषा ही बेहतर सहायक की भूमिका अदा कर सकती है, ऐसे में हर इंसान को संस्कृत सीखने की जिज्ञासा रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संस्कृत का प्रथम विश्व सम्मेलन दिल्ली के छतरपुर टेंपल में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। भक्तवत्सल शर्मा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सराहनीय कार्य करते हुए संस्कृत को आगे बढ़ाने का काम किया है, प्रदेश में दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया है। वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की ओर कदम अग्रसर किए जा रहे हैं, तो वहीं तीसरी कक्षा से संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाने का काम किया गया है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत में इस बेहतर योगदान के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रथम विश्व सम्मेलन में सम्मानित करेगी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में संस्कृत भाषा में छपी 300 से अधिक पुस्तकें सीडी भी बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी। 10 नवंबर को खुला सत्र भी होगा ।उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में क्या-क्या किया जाना है, और क्या-क्या हुआ है इस पर विस्तृत चर्चा होगी और सुझावों पर अमल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश से भी अनेक प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
42 वर्षों से संस्कृत शिक्षण में कर रहे काम
संस्कृत भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर भक्तवत्सल शर्मा वेद, शास्त्रों के विद्वान व अनुभवी शिक्षक हैं। भक्तवत्सल 42 वर्षो से संस्कृत शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। शोध के क्षेत्र में उन्हें डी लिट की उपाधि प्राप्त हो चुकी है। 2017 से अंतरराष्ट्रीय संगठन संस्कृत भारती के अध्यक्ष के नाते कार्य कर रहे हैं। हिमाचल सरकार ने भी संस्कृत में उनकी पकड़ को देखते हुए संस्कृत अकादमी का मानद सचिव नियुक्त किया है। भक्तवत्सल शर्मा संस्कृत महाविद्यालय डोहगी के प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं और प्रथम विश्व संस्कृत सम्मेलन में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं जो कि हिमाचल के लिए भी गौरव के पल हैं।
कुल्लू के देवसदन में दो करोड से बनने वाले संस्कृत ग्रन्थालय की स्थापना की घोषणा 2010 में तत्कालिन भाजपा सरकार ने की थी पर वह आज भी घोषणामात्र है जो साकारता का रोना रो रही है /
कुल्लू के देवसदन में दो करोड से बनने वाले संस्कृत ग्रन्थालय की स्थापना की घोषणा 2010 में तत्कालिन भाजपा सरकार ने की थी पर वह आज भी घोषणामात्र है जो साकारता का रोना रो रही है /