रोहित शर्मा। शिमला
जल शक्ति एवं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत बागवान, प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार फसल बीमा के लिए गत तीन सालों में अधिकृत कंपनियों को अभी तक 248.88 करोड़ से अधिक की राशि प्रीमियम के रूप में अदा कर चुके हैं, लेकिन इन कंपनियों ने बागवानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के एवज में महज 128 करोड़ की राशि ही जारी की है। इसके अलावा फसल बीमा योजना के तहत बागवानों को वर्ष 2019-2020 की बीमे की राशि की अदायगी नहीं की गई है, जबकि बागवानों सहित प्रदेश और केंद्र सरकार ने प्रीमियम का अपना शेयर कंपनियों को अदा कर दिया है।
इसलिए बीमा कंपनियों की इस मनमानी से खफा प्रदेश सरकार ने 2020-21 का इन कंपनियों का फसल बीमा योजना का प्रीमियम रोक दिया है। उन्होंने कहा कि वह प्रयास करेंगे कि कंपनियों के अधिकारियों को बुलाकर विभागीय स्तर पर बैठक करेंगे। यह बात उन्होंने शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक नरेंद्र बरागटा के सवाल के जवाब में कही। उन्होंने बताया कि फसल आधारित बीमा योजना के तहत बीमित राशि का 5 प्रतिशत अथवा वास्तविक मूल्य दर में से जो कम हो, वहन की जानी है।
शेष राशि राज्य व केंद्र सरकार द्वारा बराबर मात्रा में वहन की जाती है। महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि इस योजना में किसी भी प्रकार की कमी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना में वह बागवान अधिक हैं, जिन्होंने कर्जा लिया है। अन्य बागवान बहुत कम हैं।
कर्जा लेने वाले बागवानों के खाते से सीधे बैंक वाले राशि काट देते हैं। हो सकता है बागवानों को इसका पता भी नहीं चलता है। बागवानी मंत्री ने माना कि बागवानी को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के बाद इसके आकलन के लिए बीमा कंपनियों के लोग नहीं मिलते और बाद में यही लोग कह देते हैं कि नुकसान के आकलन का समय खत्म हो चुका है।
ऐसे में बागवानों को फसल बीमा का उचित फायदा नहीं मिल पा रहा है। इसलिए इस पूरी योजना में बागवानों के साथ धोखा न हो, इसके लिए बीमा कंपनियों को बुलाकर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। साथ ही केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों को भी बुलाया जाएगा ।
मंत्री खुद कन्फ्यूज, बीमा कंपनियों को तलब करेंगे
बागवानी मंत्री ने माना कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि बागवानों से कंपनियों ने 101.08 करोड़ से अधिक का प्रीमियम कैसे वसूल लिया। जबकि फसल बीमा योजना के तहत कुल प्रीमियम का सिर्फ 5 फीसदी हिस्सा ही बागवानों को देना था तथा शेष हिस्सा केंद्र और प्रदेश सरकार को आधा-आधा चुकता करना था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से 31 जनवरी 2021 तक प्रदेश सरकार ने फसल बीमा के एवज में इन कंपनियों को 74.02 करोड़ रुपये, जबकि भारत सरकार ने 73.77 करोड़ से अधिक की राशि प्रीमियम के रूप में जमा करवाई है। उन्होंने कहा कि कंपनियों द्वारा वसूले जा रहे प्रीमियम को लेकर वे खुद स्पष्ट नहीं हंै, इसलिए वे कंपनियों और केंद्र सरकार के अफसरों के साथ बैठक करेंगे।
इन 5 कंपनियों के साथ है फसल बीमा अनुबंध
महेंद्र सिंह ने कहा कि फसल बीमा योजना प्रदेश में पहली अप्रैल 2016 को लागू हुई थी। इस योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच 424311 बागवान पंजीकृत हुए थे। इस योजना के तहत उद्यान विभाग रबी की फसल का ही बीमा करता है। इस कार्य के लिए एआईसी, इफको टोक्यो, आईसीआईसीआई लम्बार्ड, एचडीएफसी एरगो और रिलायंस जीआईसी इत्यादि कंपनियों से अनुबंध है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 95283 पंजीकृत बागवानों को 34.62 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-2018 में 161524 बागवानों को 49.93 करोड़ तथा वर्ष 2018-2019 में 82881 बागवानों को 44.08 करोड़ रुपये की धनराशि मुआवजे के रुपये आबंटित की गई।