हिमाचल दस्तक : विजय कुमार : संपादकीय :
देश में भड़काऊ भाषण देने का चलन नया नहीं है। आये दिन हमारे नेता ऐसे भाषण देते रहते हैं। सभी पार्टियों के नेता ऐसी हरकतें करते रहते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान तो यह सिलसिला और तेज हो जाता है। इस दौरान तो भड़काऊ बयानों में एक-दूसरे को पीछे छोडऩे की होड़ शुरू हो जाती है।
भड़काऊ बयानों का प्रयोग नेता ज्यादातर वोटों के ध्रुवीकरण या फिर वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए करते हैं। कई बार अपने शीर्ष नेतृत्व या फिर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए भी नेता भड़काऊ बयान देते हैं। ऐसे बयानों से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। कई बार ऐसे बयान देश में अशांति फैलाने का काम भी करते हैं। देश में अधिकतर दंगे भड़काऊ बयानों के कारण ही हुए हैं। अब भड़काऊ बयान देने वालों में एक और नेता का नाम जुड़ गया है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर इस क्लब में शामिल हुए हैं। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को का नारा लगवाकर खुद को विवादों में डाल लिया है। अनुराग ठाकुर का यह बयान छात्र राजनीति तक तो जायज लगता है, जब देश से धोखा करने वालों के खिलाफ छात्रों का आह्वान किया जाता है। किसी स्कूल या कॉलेज में भी देशभक्ति की भावना इस नारे से मजबूत हो सकती है। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कौन अनुराग ठाकुर को गद्दार लग रहे हैं, यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है।
अनुराग ठाकुर ने गद्दारों की परिभाषा बताई होती तो भी नारा सही प्रतीत हो सकता था। इसको बोलने के अंदाज और मंच ने विवादित बना दिया है। इसका ही परिणाम है कि जामिया विश्वविद्यालय के पास एक सिरफिरे युवक की सरेआम गोलीबारी के बाद अनुराग ठाकुर सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किए गए। चुनाव आयोग ने उनके इस भाषण पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मगर इससे बात नहीं बनेगी, भड़काऊ बयानों पर पूर्णत: रोक लगनी चाहिए।