मस्तराम डलैल। शिमला
प्रदेश की एक लोकसभा व तीन विधानसभा सीटों के उपचुनावों में भाजपा चारों खाने चित हो गई है। प्रचंड जीत के साथ परचम लहराने वाली कांग्रेस ने उपचुनावों के नतीजे आते ही दिवाली का जश्न मनाना शुरू कर दिया है। मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह 7490 मतों से निर्वाचित हुई हैं।
फतेहपुर से कांग्रेस प्रत्याशी भवानी सिंह पठानिया 57८9 तथा अर्की से संजय अवस्थी 3219 वोटों से जीते हैं। जुब्बल-कोटखाई से निर्दलीय उम्मीदवार चेतन बरागटा को 6293 मतों से पराजित कर कांग्रेस के रोहित ठाकुर निर्वाचित हुए हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र के लिए हुए उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह विजयी रहीं जिन्हें 3,69,565 मत प्राप्त हुए।
भाजपा के उम्मीदवार ब्रिगेडियर खुशहाल चंद ठाकुर को 3,62,075 मत, रालोपा की अंबिका श्याम को 3617 मत प्राप्त हुए। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के भवानी सिंह पठानिया ने जीत हासिल की। उन्हें 24,449 मत प्राप्त हुए जबकि भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर को 18,660 और डॉ. राजन सुशांत को 12,927 वोट हासिल हुए।
जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी के रोहित ठाकुर ने सर्वाधिक 29,955 मत प्राप्त कर विजय हासिल की। भाजपा की नीलम सरैइक को 2644, निर्दलीय प्रत्याशी चेतन सिंह बरागटा को 23,662 मत प्राप्त हुए। यहां भाजपा प्रत्याशी जमानत भी नहीं बचा पाईं। अर्की विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के संजय अवस्थी ने विजय प्राप्त की। उन्हें 3079८ वोट मिले। भाजपा के रतन सिंह पाल को 2757९, जबकि निर्दलीय जीत राम को 547 मत प्राप्त हुए।
अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे नतीजे : मुख्यमंत्री
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि वह उपचुनावों के नतीजों को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे हैं। हम प्रदेश के लोगों की आकंाक्षाओं पर खरा उतरने के लिए भरसक प्रयास करेंगे तथा नई ऊर्जा व समर्पण के साथ कार्य करते हुए 2022 के विस चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
विस चुनावों में पार्टी की जीत का मार्ग प्रशस्त : प्रतिभा
मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने अपनी जीत के लिए पार्टी संगठन, पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने इसे पार्टी की जीत बताया। उन्होंने कहा कि इस जीत से कार्यकर्ताओं में नया जोश उत्पन्न हुआ है जो अगले साल होने वाले विस चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मंत्री नहीं कर पाए कोई चमत्कार
शिमला। उपचुनाव की चारों सीटों पर भाजपा की बड़ी हार की वजह राज्य सरकार के मंत्री भी माने जा रहे हैं। सरकार तथा संगठन दोनों को आईना दिखाने वाले चुनावी नतीजों का यह हश्र स्वाभाविक था क्योंकि जयराम मंत्रिमंडल के सहयोगी अपने गृह विधानसभा क्षेत्रों में भी पार्टी को लीड नहीं दिला सके। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के कंधों पर कुल्लू जिला से बढ़त दिलाने का दायित्व था।
विपरीत आए परिणामों में जिला की चारों सीटों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। हैरत है कि गोविंद अपने गृह विस क्षेत्र मनाली में भी पार्टी को लीड नहीं दिला पाए। मनाली से कांग्रेस ने 1841 मतों की लीड लेकर गोविंद को उनके घर में ही पछाड़ दिया। तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मार्कंडेय भी अपना घर नहीं बचा पाए।
जनजातीय क्षेत्र में बेशक वीरभद्र सिंह का रसूख माना जाता है, बावजूद इसके डॉ. रामलाल मार्कंडेय लाहौल-स्पीति से निर्वाचित होने के साथ दूसरी बार कैबिनेट मंत्री भी बने हैं। उनके मंत्रीपद का कद अपने ही घर में काम नहीं आया और पार्टी को लाहौल-स्पीति में 2147 मतों से पिछडऩा पड़ा। सरकार ने अपने मंत्रियों को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी थी, मगर कांग्रेस के क्लीन स्वीप से मंत्रियों के भी होश उड़ गए हैं। इस उपचुनाव को एक तरह से सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा था और इस सेमीफाइनल में सरकार व उसके मंत्रियों में निराशा है।इसके बाद जोगिंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 7144 तथा दं्रग से 2621 मतों की बढ़त दिलाने में भी कामयाब हुए।
विधायकों की नाराजगी के बावजूद सीएम के नाम पर करसोग से 1413, दं्रग से 2621, बल्ह से 956 और मंडी सदर से 3246 मतों की मुख्यमंत्री ने पार्टी को बढ़त दिलाई। इसी तरह सरकाघाट से भाजपा को 1849 तथा सुंदरनगर से 1912 वोटों की लीड हासिल हुई। मंडी जिला की नौ में से आठ सीटों पर सीएम ने अपने दम पर 40 हजार 800 मतों की बढ़त दिला दी।
मंडी में बढ़त का रथ न रुकता तो बहुत बड़ी होती हार, सीएम ने खुद संभाला था मोर्चा
शिमला (राज्य ब्यूरो प्रमुख)। तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की प्रचंड जीत के बावजूद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी से बड़ी हार को टाल दिया। रामपुर, कुल्लू और ट्राइबल के तीनों क्षेत्रों में कांग्रेस को भारी बढ़त हासिल हुई। कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह की प्रचंड जीत का यह रथ न केवल सीएम ने मंडी में रोक दिया, बल्कि मंडी में कांग्रेस को पछाड़ भी दिया। यही वजह है कि प्रतिभा सिंह की जीत का अंतर 7490 पर सिमट गया। मंडी जिला के 9 विधानसभा क्षेत्रों में नाचन को छोड़ हर जगह भाजपा को बढ़त हासिल हुई। इसके पीछे मुख्यमंत्री की कड़ी मशक्कत काम आई। कुल्लू जिला की चारों विधानसभा सीटों का दायित्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को सौंपा गया था। यहां से कांग्रेस को 14 हजार 459 मतों की बढ़त मिली।
इसी तरह जनजातीय क्षेत्र की तीनों सीटों से कांग्रेस ने 12 हजार 381 वोटों की लीड हासिल की। इनमें भरमौर विस क्षेत्र से कांग्रेस को सबसे ज्यादा 5257, किन्नौर से 4977 और लाहौल स्पीति से 2147 मतों की बढ़त प्राप्त हुई। अकेले रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने 19 हजार 555 वोटों की लीड हासिल की। लिहाजा कुल्लू जिला, रामपुर और ट्राइबल की सीटों की बढ़त का अंतर 46 हजार 595 पहुंच गया। यह क्रम अगर मंडी जिला के सभी नौ विधानसभा क्षेत्रों में भी जारी रहता तो प्रतिभा सिंह की लीड एक लाख मतों का आंकड़ा छू सकती थी। महंगाई और एंटी इनकमबैंसी का असर प्रदेश सरकार भी भांप गई थी। इसी कारण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी जिला की कमान खुद संभाल ली। इसके परिणाम सबके सामने हैं।
अकेले नाचन में भाजपा को 2571 मतों से पिछडऩा पड़ा है। इसके विपरीत अपने गृह क्षेत्र सराज में सीएम ने 21 हजार 659 मतों की बढ़त दिलाकर प्रतिभा सिंह के जीत के अंतर को अपने ही क्षेत्र से आधा कर दिया। इससे जहां मंत्रियों की परफॉर्र्मेंस पर सवाल खड़े हो गए हैं, वहीं सरकार की साख भी निशाने पर आ गई है। किन-किन मंत्रियों को कहां-कहां पर जिम्मेदारी दी गई थी, इसकी बात करें तो सबसे पहले शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज पर आते हैं।
सुरेश भारद्वाज जुब्बल-कोटखाई के चुनाव प्रभारी बनाए गए थे जहां उनके साथ ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी को लगाया गया था। यहां भाजपा की बुरी तरह से हार हुई है और इसके लिए सुरेश भारद्वाज इस वक्त निशाने पर हैं। यहां पर नीलम सरैइक को टिकट दिलाने में उनका बड़ा रोल रहा है, ऐसा कहा जाता है और यदि ऐसा है तो उनकी प्रतिष्ठा इस समय दांव पर है। पहाड़ के नेता के रूप में वह खुद को स्थापित करना चाहते थे, लेकिन उम्मीदों को झटका लगा है।
फतेहपुर की बागडोर सरकार ने वन मंत्री राकेश पठानिया और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर को सौंपी थी, मगर यहां भी उलटफेर हो गया। दोनों मंत्रियों ने पूरा जोर लगाया और बड़े-बड़े दावे भी किए, मगर वे अपने दावों पर कहीं भी खरा नहीं उतर सके। ऐसे में कांगड़ा जिला के इन दोनों मंत्रियों की साख पर भी सवाल उठ गया है। साथ ही बात करें अर्की संसदीय क्षेत्र की तो वहां का जिम्मा सोलन जिला के मंत्री डॉ. राजीव सैजल के पास था। उसके साथ डॉ. राजीव बिंदल के पास भी जिम्मेदारी थी।
राजीव सैजल को भी यहां अपने काम की समीक्षा करना जरूरी होगा क्योंकि उनको भाजपा इस पूरे जिला के नेता के रूप में आगे ला रही है। अलबत्ता जयराम सरकार के इन मंत्रियों की परफार्मेंस पर केंद्रीय हाईकमान ने भी नजरें टेढ़ी कर दी हैं। इसके चलते इन मंत्रियों की कैबिनेट में बने रहने के साथ अगले विधानसभा चुनावों में टिकटों पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।