शकील कुरैशी। शिमला
इस उपचुनाव में आखिर कांग्रेस के कैसे बाजी पलट दी, इसपर चर्चा करना बेहद जरूरी है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ ये वोट पड़े हैं। इसके बाद कुछ दूसरे कारक भी इस जीत का कारण बने हैं। कांग्रेस की जीत के पीछे क्या कुछ खास था, उसे समझा जाना जरूरी है।
अलग-अलग सीटों का विश्लेषण करें तो सामने आता है कि कांग्रेस को जहां भाजपा की गलतियों का पूरा फायदा मिला, वहीं महंगाई के मुद्दे पर भी लोगों ने जमकर वोट किया। विकल्प कांग्रेस था जिसे पूरा लाभ मिला। मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर बाजी पलटने में मां और बेटा कामयाब रहे। स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का सालों का काम और उनकी छवि जीत दिलाने में महत्वपूर्ण रही है।
विधायक विक्रमादित्य सिंह ने जिस तरह से पूरे संसदीय क्षेत्र में मोर्चा संभाला, उससे संबल मिला।
प्रतिभा सिंह के खिलाफ जिस तरह से मंडी संसदीय क्षेत्र में मुद्दे बनाए गए वो भाजपा पर ही भारी पड़ गए। खासकर एक महिला के खिलाफ जब पूरा भाजपाई कुनबा बाहर निकल आया तो इसका नुकसान भाजपा को ही उठाना पड़ा है। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वहां पर स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया की बेदाग छवि का सहारा कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया को मिला। वहीं भाजपा के गलत टिकट आवंटन ने भी उसे हार की कगार पर पहुंचा दिया।
यहां पर भाजपा में टिकट की लड़ाई थी जो कहीं ना कहीं हावी रही, वहीं पौंग विस्थापितों का मुद्दा भी सामने था। साथ ही निर्दलीय राजन सुशांत ने भी भाजपा को ही नुकसान पहुंचाया। कुल मिलाकर यहां कांग्रेस को इन सभी का सहारा मिला और भवानी जो पहले पीछे चल रहे थे, बाद में आगे निकल गए।
अर्की विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा को भितरघात का सामना करना पड़़ा, जिसका उसे नुकसान हुआ मगर कांग्रेस को इसका फायदा पहुंचा। साथ ही कांग्रेस के संजय अवस्थी की छवि भी यहां काम कर गई। इसके अलावा कांग्रेस को यहां पर क्षेत्रवाद का भी सहारा मिला। संजय अवस्थी जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां ज्यादा वोट थे और साथ ही यहां जातिवाद का भी एक बडा कार्ड अंदरखाते चला है। इसका पूरा लाभ कांग्रेस को मिला जिसने यहां भी बाजी को पलट दिया।
अब बात करते हैं जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र की। यहां पर सेब एक बड़ा मुद्दा था जिसको लेकर सेब सीजन में भी सियासत हुई। यहां पर भाजपा की अपनी गलतियों से भी उसे हार का सामना करना पड़ा क्योंकि ऐन मौके पर भाजपा ने अपना टिकट बदल दिया। टिकट बदलने से निर्दलीय उम्मीदवार चेतन बरागटा ने जो वोट लिए वो भाजपा के ही थे।
ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई। इसका पूरा लाभ कांग्रेस को मिला। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रोहित ठाकुर की अपनी छवि शानदार है जो शुरुआत से ही आगे चल रहे थे। स्व. ठाकुर रामलाल का आभामंडल भी यहां रोहित ठाकुर के काम आया और पिछली बार हारने के बाद रोहित ठाकुर इस बार विजयी होने में कामयाब रहे।