अनूप शर्मा। बिलासपुर
पिछली चार पीढियां से हमारी प्राचीन संस्कृति की धरोहर घराट जिसे पनचक्की भी कहा जाता है इस परिवार ने इसे संजोए के रखा है। लेकिन यहां समीप में सेफटी टैंक बनाए जाने के कारण इस प्राचीन संस्कृति की धरोहर को खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि, इस परिवार का कहना है कि इस घराट पनचक्की को वह अपनी सात पीढ़ियों तक संजोये रखना चाहते हैं।
उनका कहना है कि उनके बाप दादा पड़ दादा सब ने अपने परिवार का पालन पोषण इसी घराट से किया और सारे आसपास के गांव के लोग इसी घराट का आटा लेने के लिए पहुंचते हैं। क्योंकि इसका आटा बहुत ही पौष्टिक होता है और हर तरह के तत्व इस में विद्यमान रहते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है आज भी लोग घराट का आटा खाना बहुत पसंद करते है। ये घराट श्री राम राणा का है ।
इसका संचालन श्री राम के पिता धनी राम करते आए उसके बाद भाई लक्ष्मण जो की अधरंग के शिकार थे ,वह अपने परिवार का गुज़ारा इसी चक्की से चलते आए उसके बाद श्री राम ने अपने दो बेटों की और चार लड़कियों का पालन पोषण तथा शादी इसी चक्की की कमाई से की । ये घराट अब चौथी पीढी चला रही है ।
श्री राम के बेटे करम सिंह और पवन सिंह ने भी अपने बच्चों का पोषण इसी चक्की से किया । करम सिंह के दो बेटे और दो बेटियाँ है । पवन सिंह कि तीन बेटियाँ और 1 बेटा है । जिनका पोषण इसी चक्की से होता है । आज के आधुनिक जमाने में भी इनकी पीढ़ी इस्स घराट को चलाना चाहती है । उधर, ग्रामीणों ने यहां पर बनने वाले सेफटी टैंक का विरोध किया है। व इसे यहां से दूर बनाने की मांग की है।