दीक्षा बैंस। हरोली: मेहनत के बलबूत बंजर भूमि भी सोना उगलने लगती है। ऐसी ही सफलता की एक कहानी है जिला ऊना के पूबोवाल निवासी किसान ओम प्रकाश की। हरोली विधानसभा के ओम प्रकाश की 10 मरले भूमि पिछले लगभग 35 वर्षों से बंजर पड़ी थी और ओम प्रकाश के पास अपनी इस भूमि को समतल करने व इसे खेती-बाड़ी योग्य बनाने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं थी।
निर्धन परिवार से संबंध रखने वाले ओम प्रकाश की इस समस्या का हल महात्मा गांधी नरेगा योजना ने किया। वर्ष 2017-18 के दौरान किसान ने बंजर भूमि को समतल करवाने की योजना बनाई तथा ग्राम पंचायत पूबोवाल ने इस कार्य का चयन मनरेगा शैल्फ में किया, ताकि भूमि को पहले समतल किया जा सके तथा बाद में इस भूमि को फसल की बिजाई योग्य बनाया जा सके। इस कार्य के लिए 1 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई।
भूमि सुधार का कार्य 14 फरवरी 2018 को आरंभ किया गया, जो 5 जुलाई 2018 को समाप्त हुआ है। भूमि को समतल करवाने के भी बहुत सारा काम बाकी थी। जमीन की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने के लिए गाय व भैंस का गोबर डालकर इस भूमि को उपजाऊ बनाया गया तथा इस पर खीरे के पौधे व अन्य सब्जियों की खेती आरंभ की। मेहनत की फसल लहलहाई तो किसान ओम प्रकाश को पहली बार में ही लगभग 50 हजार रूपए का मुनाफा हुआ।
परिवार की आर्थिकी में हुआ सुधार
पूबोवाल निवासी किसान ओम प्रकाश ने बताया कि मनरेगा से उनके परिवार के जीवन स्तर पर बहुत बड़ा सुधार आया है। परिवार के लिए मनरेगा वरदान सिद्ध हुई है। लगभग 35 वर्षों से बंजर पड़ी भूमि को खेती योग्य बनाया गया और अब वहां पर फसल व सब्जियां लगाकर अच्छी कमाई हो रही है। मनरेगा के बिना इस बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
527 कार्य दिवस अर्जित किए
बीडीओ हरोली अतुर पुंडीर ने बताया कि मनरेगा के तहत किसान ओम प्रकाश के भूमि सुधार कार्य के लिए 15 लोगों ने मजदूरी की तथा जिस पर 527 कार्य दिवस अर्जित किए गए। उन्होंने कहा कि मनरेगा केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य गांवों का विकास और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार प्रदान करना है। इस योजना के माध्यम से गांव में आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ किया जा रहा है।
दो वर्षों में 1275 करोड़ के काम करवाए
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि गांवों में सुविधाएं जुटाने में मनरेगा मददगार बन रही है। मनरेगा के अंतर्गत कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 120 कर दी गई है। पिछले दो वर्षों में इस योजना के तहत 1275.74 करोड़ रुपए व्यय किए गए। इस दौरान 444.56 लाख कार्य दिवस सृजित किए गए और 9.74 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है।