राजेश कुमार : धर्मशाला
मिनी मणिमहेश के नाम से विख्यात धर्मशाला की डल झील कभी पर्यटकों से गुलजार रहती थी, वर्तमान में सूखी होने के चलते वीरान पड़ी है। पर्यटक यहां आकर शांति महसूस करते थे और बोट का भी आनंद लेते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नजर नहीं आता। झील के सूखने का सीधा असर पर्यटन पर पडऩा शुरू हो गया है। हालांकि पर्यटक डल झील पहुंचते हैं, लेकिन सूखी झील को देखकर ठहरने के बजाय अगले गंतव्य की ओर रुख कर देते हैं।
पर्यटकों का कहना है कि अब तो नाम की ही झील रह गई है। जानकारी के अनुसार डल झील को चंडीगढ़ की सुखना लेक की तर्ज पर विकसित करने की योजना थी, लेकिन जिस तरह से लीकेज की वजह से झील सूख गई है, उससे सारे दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2008 से यह समस्या पेश आ रही है। गौरतलब है कि डल झील के दीदार के लिए वर्ष भर पर्यटकों की आमद लगी रहती थी, वहीं राधा अष्टमी के स्नान के दिन भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां उमड़ती थी।
पर्यटकों को झेलनी पड़ रही मायूसी
ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में पहले डल झील ही पर्यटकों की पहली पसंद होती थी। काफी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते थे, पर्यटक तो अभी आते हैं, लेकिन सूखने की वजह से मुंह बनाकर चले जाते हैं। हालांकि झील किनारे हरे-भरे पेड़ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, लेकिन सूखी झील पर्यटकों को मायूस कर रही है।
जंग खा रही बोट
पूर्व के वर्षों में डल झील दो बोट भी चलती थी, जो भी पर्यटक डल झील आते थे, बोट का आनंद लेना नहीं भूलते थे। जब से झील में लीकेज की समस्या बढ़ी है, तब से बोट का संचालन बंद हो गया है जो बोट पहले झील में तैरती थी, आज दुर्वेश्वर महादेव मंदिर की सीढिय़ों के पास जंग खा रही हैं। लाखों रुपये की इन बोट की देख-रेख भी नहीं हो पा रही है।
कारोबार का नुकसान : छेत्री
डल झील स्थित सब्जी विक्रेता कुमार छेत्री का कहना है कि झील के सूखने की वजह से कारोबार प्रभावित हो रहा है। स्थानीय दुकानदारों, टैक्सी व ऑटो ऑपरेटर्स को काफी नुकसान हो रहा है। वर्ष 2008 से लीकेज की समस्या आ रही है। प्रशासन व सरकार से मांग है कि झील को पहले जैसा बनाया जाए, जिससे कि पर्यटकों की आमद बढ़ सके।
प्रशासन ले सुध : रिम्पी
डल झील घूमने आई रिम्पी देवी का कहना है पहले झील में पानी होता था तो मछलियां भी थी और बोट चलती थी। झील सूखी पड़ी है, प्रशासन को इसकी सुध लेकर इसका सुधार करना चाहिए।
डल मैदान रख देना चाहिए नाम : उप्पल
लुधियाना से आए राकेश उप्पल ने कहा कि झील सूखी पड़ी है, जिसे देखकर बहुत बुरा लग रहा है। पहले इसका चार्म होता था, अब तो नाम की ही झील रह गई है। अब इसका नाम बदलकर डल मैदान रख देना चाहिए। यहां चलने वाली बोट सीढिय़ों के पास जंग खा रही हैं। लाखों रुपये की इन बोट की देख-रेख भी नहीं हो पा रही है।
मन मसोस कर रह जाते हैं पर्यटक : बबीता
स्थानीय महिला बबीता थापा का कहना है झील सूखने की वजह से कामकाज प्रभावित हो गया है। पर्यटक भी यहां आकर मन मसोस कर रह जाते हैं। पहले भी झील को खाली किया गया था, बनाने की बात कही थी, लेकिन अब हालात आपके सामने हैं।
डल लेक को लेकर निगम करना तो बहुत कुछ चाहता है। अमरुत टू प्वाइंट ओ करके केंद्र सरकार की योजना है, जिसके तहत जलशक्ति विभाग के माध्यम से 10 करोड़ से अधिक का प्रपोजल है। प्रदेश सरकार की ओर से यह प्रोजेक्ट भेजा गया है। नेचुरल वॉटर बॉडी के तहत यह प्रोजेक्ट भेजा गया है। यूडी की स्कीम है यह जल प्रबंधन का कार्य यूडी विभाग करता है, जिसके माध्यम से यह मामला केंद्र सरकार को भेजा गया है। इस मामले में अपू्रवल मिलते ही यूडी डिपार्टमेंट ही इस कार्य को करेगा।
-प्रदीप ठाकुर, कमिश्नर, नगर निगम, धर्मशाला।डल लेक स्टडी को लेकर फंड्स बारे नगर निगम को लिखा था, लेकिन अभी तक फंड्स उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं। वहीं सरकार को भी इस बारे प्रपोजल भेजा गया है। हम चाहते हैं कि लेक क्यों सूख रही है, इसकी डिटेल स्टडी की जाएं जिस एजेंसी से स्टडी करवानी है, उसे भी हायर करना है।
-डॉ. निपुण जिंदल, डीसी, कांगड़ा।