रोहित शर्मा। शिमला
बाहरी राज्यों की तरह अब शिमला में भी कोरोना से हुई मौतों के पार्थिव देह अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग में हैं। इसकी वजह बना है कनलोग शमशान घाट, जहां एक रोज में 6 पार्थिव शरीरों का ही दाह संस्कार हो पाता है। शनिवार को किन्नौर के छितकुल के एक 67 वर्षीय व्यक्ति की मौत कोरोना के कारण हो गई। ये मौत सुबह 11.30 बजे हुई थी। लेकिन आज अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका। जिलाधीश कार्यालय से कल का समय दिया गया है। ऐसा ही अन्य मौतों के साथ भी है।
दरअसल कोविड शवों का दाह संस्कार करने के लिए सिर्फ कनलोग का शमशाम घाट शहर में है। बाकी मौतों के पार्थिव शरीर अब संजौली शमशान घाट भेजे जा रहे हैं। लेकिन यहां कुल 6 ही शवों के लिए इंतजाम है। दरअसल जिला प्रशासन परिजनों के लिए राख एवं अवशेष उठाने का समय भी परिजनों को देता है, इसलिए वेटिंग और लंबी हो रही है। अब कनलोग में ही 6 और शेड जोड़े जा रहे हैं। इसके बाद एक दिन में 12 शवों का संस्कार हो पाएगा।
आईजीएमसी शिमला में बाहर से रेफर मरीजों का संख्या ज्यादा है। इन्हें ज्यादातर खराब हालत में रेफर किया जाता है। इस कारण शिमला में डेथ भी ज्यादा है। हमारे पास कनलोग में सीमित स्थान है। अब यहां अतिरिक्त शेड लगाकर क्षमता बढ़ाई जा रही है।
-आदित्य नेगी, डीसी शिमला।
हिमाचल में 1485 में से 1000 मौतें अन्य रोगों के कारण
हिमाचल में अब तक कोविड के कारण 30 अप्रैल तक 1485 मौतें हुई थीं। इनमें से 1000 मौतें अन्य रोगों के कारण हैं। यानी इनमें किसी और तरह का रोग भी था। ये कुल मौतों का 67 फीसदी बनता है। 485 मौतें सिर्फ कोविड के कारण हैं। इनमें ये डायबीटिज वाले 500 मरीज हैं, जिनकी मौत हुई। ये करीब 50 फीसदी बनता है। बीपी वाले मरीज 459, किडनी रोगों वाले 111, फेफड़ों की बीमारी वाले 84 मरीजों की जान गई है। सबसे ज्यादा 374 मौतें कांगड़ा जिला में रिकार्ड हुई है। जहां तक उम्र का सवाल है तो 6 मौतें 13 साल से कम उम्र के लोगों की हुई है। 15 से 29 तक 19, 30 से 44 तक 124, 45 से 59 तक 378, 60 से 74 तक सबसे ज्यादा 612 और 75 साल से ज्यादा उम्र पर 345 मौतें राज्य में रिकार्ड हुई हैं।