यूनियन बनाने को कम से कम 50 सदस्य करना चाह रही सरकार, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में वर्तमान में 10 सदस्यों का है प्रावधान
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : दो दिन पूर्व हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में एक वरिष्ठ अफसर के हंगामे से राज्य में यूनियनबाजी पर लगाम लगाने को लेकर लिया जाने वाला फैसला टल गया है। इसकी वजह ये रही कि अफसर के हंगामे के बाद इस विषय को ही कैबिनेट एजेंडे से विदड्रा कर लिया गया। सरकार ने भारत सरकार के निर्देशों पर इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में संशोधन करना चाहती है।
इस एक्ट के प्रावधानों के तहत वर्तमान में राज्य में 10 कामगार मिलकर किसी भी फैक्टरी या उद्योग में यूनियन खड़ी कर सकते हैं। इस संख्या को 10 से बढ़ाकर 50 करने का विचार सरकार का है। इस बारे में राजस्थान सरकार के ड्राफ्ट का अध्ययन करके ही कैबिनेट के लिए एजेंडा बनाया गया था, लेकिन इस पर फैसला नहीं हो पाया। अफसर का आरोप था कि उनकी अनुपस्थिति में कैबिनेट के मैमो को बदला गया।
हालांकि इसी कैबिनेट में सरकार ने हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कार्यों रोजगार और सेवा की स्थिति का विनियमन नियम 2014 के कुछ अनुभागों में संशोधन किया है। यह संशोधन श्रमिकों को बोर्ड द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए बोर्ड के साथ पंजीकृत करने के लिए किया गया।
कागज फेंके-गिलास भी तोड़ा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के एक अफसर ने कैबिनेट बैठक के दौरान इतना हंगामा किया कि न केवल कैबिनेट रूम के बार जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया, बल्कि पहले कागज किसी अन्य अफसर की ओर फेंके, फिर जब पानी पीने को दिया को फर्श पर पटककर गिलास तोड़ दिया। इस सबके बावजूद सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अफसरों का एक धड़ा ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई के पक्ष में है। लेकिन घटना के दो दिन बाद तक भी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि अधिकांश अफसर तुरंत कार्रवाई के पक्ष में थे।
क्या कहते हैं श्रम मंत्री?
इस सारे घटनाक्रम पर जब श्रम एवं रोजगार मंत्री बिक्रम सिंह से संपर्क कियागया तो उन्होंने कहा कि हंगामे जैसी कोई घटना कैबिनेट में नहीं हुई है। न ही ऐसा कोई विषय हमारे सामने रखा गया था। कैबिनेट के बाहर क्या हुआ है? इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। जहां तक श्रम कानूनों में संशोधन की बात है तो इस बारे में फैसला अगली कैबिनेट में हो जाएगा।