एजेंसी।नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उत्तर पूर्व दिल्ली में दंगों को लेकर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने और हिंसा की सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने के निर्देश के अनुरोध वाली दो अर्जियों पर मुख्य न्यायाधीश की एक अन्य पीठ सुनवाई कर सकती है जिनके समक्ष इसी तरह की अन्य अर्जियां लंबित हैं।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की एक पीठ को सूचित किया गया कि इसी तरह की राहत के अनुरोध वाली विभिन्न अर्जियां उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल के नेतृत्व वाली एक पीठ के समक्ष पहले से लंबित हैं। वीडियो कॉन्फं्रेस के जरिए सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद द्वारा दायर दो अर्जियों को अन्य दंगा संबंधी अर्जियों के साथ मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ के समक्ष 13 जुलाई को सूचीबद्ध की जाए। जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपनी अर्जियों में कहा कि दिल्ली पुलिस को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वह दंगा प्रभावित क्षेत्रों की 23 फरवरी से एक मार्च तक का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करे और उसे स्थल से साक्ष्य एकत्रित किए बिना मलबा नहीं हटाना चाहिए।
अर्जियों में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया गया है, जिसमें उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हों। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से अधिवक्ताओं रजत नायर और अमित महाजन ने अदालत को बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत उत्तर पूर्व दिल्ली की हिंसा से संबंधित सात अन्य अर्जियों को मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया गया है। अधिवक्ताओं ने उन अर्जियों की जानकारी भी दी।