शकील कुरैशी। शिमला:
कोरोना काल में जहां सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, वहीं माइनिंग ने उसके खजाने को भर भी दिया है। कोविड के बावजूद सरकार को 210 करोड़ की कमाई माइनिंग से हुई है, जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती थी। हाल ही में पिछले साल का यह पूरा पैसा जुटा लिया गया है, जिसमें टार्गेट 200 करोड़ का रखा गया था। 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उद्योग विभाग के माइनिंग विंग ने जुटाई है।
कांगड़ा, सिरमौर और सोलन जिलों में सबसे अधिक माइनिंग लीज दी गई हंै। हालांकि माइनिंग के मामले एफसीए क्लीयरेंस में फंसे हुए हैं और लीज लेने वाले लोग पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहे हैं। मगर फिर भी जो पैसा सरकार ने लेना था, उसकी उगाही कर ली गई है। बताया जाता है कि पिछले साल सरकार के उद्योग विभाग ने 300 माइनिंग लीज लोगों को दीं।
इस साल 225 करोड़ का टार्गेट
इस वित्तीय वर्ष मार्च महीने तक 225 करोड़ रुपये का टार्गेट रखा गया है, जिस पर काम शुरू हो चुका है। प्रदेश में मौजूद नदियों व खड्डों में उपलब्ध खनन सामग्री से सरकार को काफी पैसा आने लगा है, मगर अभी भी फॉरेस्ट क्लीयरेंस का पेच अधिकांश स्थानों पर फंसा है। करीब 45 माइनिंग लीज यहां पर फंसी हुई हैं, जिनको फॉरेस्ट की क्लीयरेंस नहीं मिल पाई है। इसमें अकेले सिरमौर जिला में ही 25 खनन पट्टे हैं, जिन पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
इनके अलावा शिमला, मंडी व कुल्लू के भी खनन पट्टे एफसीए की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। करोड़ों रुपये में लोगों ने खनिज पट्टे ले रखे हैं, जिनको काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। परंतु उद्योग विभाग के माइनिंग विंग ने सरकार को आने वाली राशि जुटा ली है और टार्गेट से ज्यादा अचीव करके दिखाया है। इससे सरकारी खजाने को भी राहत मिली है।
करीब 300 माइनिंग लीज दी गई हैं, जिनसे जो पैसा सरकार को आना था, वो जुटा लिया गया है। 200 करोड़ की एवज में 210 करोड़ की उगाही हो चुकी है। इस वित्त वर्ष के लिए 225 करोड़ का टार्गेट है, जिस पर विभाग तेजी के साथ काम कर रहा है। विपरीत परिस्थितियों में भी टार्गेट पूरा किया गया है।
-पुनीत गुलेरिया, स्टेट जियोलोजिस्ट हिमाचल प्रदेश
सरकार को पर्यटन, खनिज व बिजली क्षेत्र से होती है कमाई
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन, खनिज और बिजली ये तीन ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से सरकार को आमदनी होती है और इन क्षेत्रों में आने वाली अड़चनों को यदि दूर कर दिया जाए तो एक बड़ी कमाई का जरिया बन सकता है। माइनिंग के क्षेत्र में एफसीए की परमिशन रोड़ा बनी हुई है, वहीं अवैध खनन भी चुनौती के रूप में सामने है। उधर, पर्यटन पर कोविड जैसी महामारी की मार पड़ी है, जिससे यहां पर करोड़ों रुपये का नुकसान पिछले साल में ही हो चुका है।
अभी भी पर्यटन के क्षेत्र में हिमाचल उभर नहीं पा रहा है और इस क्षेत्र का जीडीपी में 7 फीसदी का योगदान है। इसके अलावा ऊर्जा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर प्रोजेक्टों का निर्माण अधर में है। सालों से इनको मंजूरियां नहीं मिल पा रही हैं, वहीं हाईड्रो पावर का रेट भी बाजार में काफी कम हो चुका है। ऐसे में इन सभी क्षेत्रों में सरकार को भी कहीं ना कहीं काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।