कमल शर्मा: शाहतलाई
शाहतलाई बाबा बालक नाथ जी की तपोभूमि तलाई में शनिवारऔर रविवार को भारी भीड़ उमड़ी। इस दौरान हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने बाबा जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। बाबा के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं को घंटों कतारों में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार किया। उल्लेखनीय है कि प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ जी को भगवान शिव का अंश अवतार ही माना जाता है। श्रद्धालुओं में ऐसी धारणा है कि बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष की अल्पायु में ही अपना घर छोड़ कर चार धाम की यात्रा करते-करते शाहतलाई (जिला बिलासपुर) नामक स्थान पर पहुंचे थे।
इस चैत्र मास के मेले के दौरान पूरा मंदिर परिसर बाबा के जयकारों से गूंज उठा। शाहतलाई मे प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों व विदेशों से भी श्रधालु शनिवार शाम से ही पौणाहारी नगरी पहुंचना शुरू हो गए। बाबा बालक नाथ जी मंदिर में नवविवाहित जोड़े अपने परिवार सहित बाबा के चरणों में काफी मात्रा पहुंच रहे हैं।
इस चैत्र मास मेले में हिमाचल व पंजाब सहित अन्य राज्यों के लोगों की परंपरा है कि जब भी नई शादी होती है तो सर्वप्रथम श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए शाहतलाई पहुंचते हैं। लोगों में आस्था है कि चैत्र माम मे बाबा जी समाने की गई उनकी मनोकामनएं पूरी करते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड सहित देश व विदेश से श्रद्धालु बाबा बालक नाथ के दर्शनों के लिए पहुंचे। हांलाकि श्रधालुओं के जथे शनिवार शाम को ही गूफा ओर भजन कीर्तन करते हुए जा रहे थे। बाबा के भक्त सुबह सवेरे ही अपनी टोलियों सहित हाथ में रोट-प्रसाद और झंडे लेकर पौणाहारी के जयकारे लगाकर दंडवत होकर गए।
श्रद्धालुओं का मानना है कि पिछले दो वर्ष करोना महामारी के चलते बाबा जी के दर्शन नहीं कर सके लेकिन अब वह बाबा जी दरबार में हाजिरी लगाकर आने वाले समय के लिए सुख समृद्धि की कामना करेंगे। मंदिर प्रशासन द्वारा भी श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इसका पूरा ध्यान रखा गया। इस इस संदर्भ में मंदिर न्यास अधिकारी एंवम एस डी एम झंडूता नरेश वर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि मंदिर प्रशासन ने श्रध्दालुओं के लिए पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं ताकि उन्हें कोई दिक्कतों का सामना न करना पडे।