इंदिरा की पुण्यतिथि पर फिर बिखरी धर्मशाला कांग्रेस
उपचुनाव में शर्मनाक हार के बावजूद नहीं कोई नाक का सवाल
हिमाचल दस्तक। उदयबीर पठानिया
कांग्रेस (आई) यानि इंदिरा को धर्मशाला में इस बार कांग्रेस (एस) यानि सुधीर शर्मा से टक्कर मिली। इस वजह से आयरन लेडी के तमगे से नवाजी गईं इंदिरा की कांग्रेस एक तरह से कांग्रेस दरकिनार होकर रह गई। पूर्व पीएम की कांग्रेस ने अलग-अलग उनकी पुण्यतिथि का आयोजन किया। सुधीर शर्मा के गुट ने उस दफ्तर में उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी, जिस दफ्तर को उपचुनाव में बंद करके कांग्रेस के प्रति न तो कोई ‘भाव’ रखा गया था, और न ही कांग्रेस को कोई ‘भाव’ दिया गया था। जबकि दूसरे गुट ने पार्टी के उस दफ्तर में श्रद्धांजलि दी, जिस दफ्तर को बीते उपचुनाव में कंट्रोल रूम बनाया गया था।
सुधीर के दफ्तर में वो कांग्रेसी जमात थी जो सुधीर की ही पॉलिटकल यूनिवर्सिटी के स्कॉलर हैं। जबकि दूसरे दफ्तर में वो तमाम कांग्रेसी थे, जो कई सालों से कांग्रेस से दरकिनार हुए पड़े थे। इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर सियासी पुण्य कमाने की अलग-अलग होड़ से चर्चाएं भी खासी चल रही हैं। उपचुनाव में कांग्रेस की जमानत जब्त होने के बावजूद कांग्रेसियों ने अपने-अपने वजूद की जंग लड़ी। सुधीर शर्मा गुट ने अकेला पडऩे के बावजूद यह मैसेज देने में कोई कमी नहीं रखी कि उनका वजूद अभी भी कम नहीं हुआ है। चाहे जो मर्जी इल्जाम लगे हों, वो पूर्णतया शुद्ध कांग्रेसी हैं। जबकि दूसरे गुट ने एकजुटता दिखाते हुए यह संदेश सुधीर केम्प को दे दिया गया कि बिन बांग भी सुबह होती है।
कांग्रेस के पुराने नेता रामस्वरूप शर्मा, दिग्विजय सिंह पुरी, सुरेश कुमार पप्पी, विजय इंद्र कर्ण समेत दर्जनों अन्य कांग्रेसी नेता कोतवाली बाजार के दफ्तर में जमा हुए। एका दिखाकर यह साबित करने का सफल प्रयास किया कि अब आगे की लड़ाई में सुधीर शर्मा को सबसे पहले उनके साथ भिडऩा होगा, उसके बाद ही यह यह फैसला होगा कि दमदार कौन है?
वीरवार को इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर हुआ यह ड्रामा कांग्रेस के बिखरा होने के इशारे भी कर गया। अलग-अलग तंबू गड़े और यह कांग्रेस की छाती पर ही गड़ते नजर आए। मौका भले ही इंदिरा को भावभीनी श्रद्धांजलि देने का था,पर सियासत में अपने लिए ‘आदरांजलि’ का बंदोबस्त करने वाली परिस्थितियां ही बनी। उपचुनाव में शर्मनाक हार के बावजूद भी इस हार को कुछ नेता पार्टी की नाक का सवाल तो नहीं बना रहे, अलबत्ता अपनी नाक को तरजीह दिए हुए हैं।