हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला
पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज की डल झील का जलस्तर घटने से मरने की कगार पर पहुंची मछलियों का रेस्क्यू मंगलवार को किया गया। सुबह के समय ठंडे पानी से रेस्क्यू करना चुनौतीपूर्ण था। मछलियों के रेस्क्यू में तिब्बती समुदाय व स्थानीय युवाओं सहित 300 युवाओं ने मछलियों के रेस्क्यू में योगदान दिया।
डल झील से रेस्क्यू की गई मछलियों को जिला कांगड़ा के फिश फार्म व तालाबों में भेजा जा रहा है। गौरतलब है कि डल झील का ऐतिहासिक महत्व है तथा इस झील में लाखों की संख्या में मछलियां हैं, जो कि झील के सूखने से मर रही थीं।
यह पहली बार नहीं है, जब झील का पानी सूखा है, इससे पहले भी डल झील का पानी सूखने का मामले सामने आ चुके हैं। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि झील का पानी सूखने की घटना पुन: न घटे, इसके लिए प्रशासन को उचित कदम उठाने चाहिए।
एसडीएम धर्मशाला शिल्पी बेक्टा ने कहा कि सूचना मिली थी कि डल झील में जलस्तर घट गया है, मछलियों के जीवन को खतरा है, इसलिए मछलियों को रेस्क्यू करवाना था। मछलियों को गाद से निकालना था और जमीन दलदली होने के चलते हाथों से ही कार्य हो सकता था, किसी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। इसलिए स्थानीय पार्षद व तिब्बती समुदाय के सीनियर सिटीजन से आग्रह किया था, जिस पर तिब्बती समुदाय के स्वयंसेवी भेजने की बात कही थी।
जब प्रशासन यहां पहुंचा तो 250 के करीब तिब्बती लोग व स्थानीय लोग यहां काम में लगे हुए थे। मत्स्य विभाग के अनुसार डल झील की मछलियों को कांगड़ा में फिश फार्म व तालाबों में ले जाया जा रहा है।
निर्वासित तिब्बत सरकार के सांसद दावा छेरिंग ने कहा कि पिछले कल पता चला था कि डल झील का पानी सूख गया है तथा मछलियां मर रही हैं। तिब्बतियन वेल्फेयर एसोसिएशन के माध्यम से इस बारे सभी तिब्बती संगठनों को सूचित किया गया था, जिस पर मंगलवार सुबह 10 बजे के लगभग तिब्बती समुदाय के लोगों ने मछलियों का रेस्क्यू करना शुरू किया था।