शिमला:
ग्लोबल हंगर इंडैक्स में भारत की खराब रैंकिंग को 15वें वित्तायोग ने गंभीरता से लिया है। यही कारण है कि बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए वित्तायोग ने इंटीग्रेटिड चाइल्ड डेवल्पमेंट स्कीम में ही राज्यों को 7735 करोड़ का अनुदान देने का फैसला लिया है।
हिमाचल को इसी अनुदान में से अगले साल 45 करोड़ अतिरिक्त मिलेंगे। ये आवंटन यहां 6 माह से 6 साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं की संख्या के आधार पर हुआ है। वित्तायोग ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आंगनबाड़ी के मार्फत दिए जाने वाले पूरक पोषाहार के डाइट मनी को भी करीब दोगुना कर दिया है। राज्य में इस समय 18925 आंगनबाड़ी केंद्र हैं और इनमें करीब 5 बच्चे पंजीकृत हैं। इसके अलावा गर्भवती और धात्री महिलाओं को अलग से पूरक पोषाहार दिया जाता है।
दरअसल पहले सामान्य बच्चों के लिए 8 रुपये प्रति बच्चा प्रति दिन का डाइट मनी तय था। कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए ये राशि 12 रुपये और गर्भवती महिलाओं के लिए 9.50 रुपये थी। इसमें वित्तायोग ने 50 फीसदी की बढ़ोतरी एकमुश्त कर दी। इसके साथ ही सभी कैटेगिरी में 3 रुपये प्रति दिन प्रति व्यक्ति और देने का ऐलान किया। इससे डाइट मनी का रेट करीब करीब दोगुना हो गया है। इससे आंगनबाड़ी में दिये जा रहे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और वैरायटी में भी सुधार आएगा।
15वें वित्तायोग ने बच्चों में कुपोषण को गंभीरता पोषाहार के लिए ग्रांट बढ़ाई है। राज्य सरकार ने प्रति बच्चा पूरक पोषाहार राशि को बढ़ाने की जरूरत महसूस कर रही थी। ये पैसा बढऩे से इस योजना का सही लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।
-डॉ. राजीव सैजल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री।