- दो बार अंतर्कलह से हारी कांग्रेस की राह इसबार भी कांटों भरी
- दोनों दलों में असंतुष्टों की संख्या अधिक, बागी होने को तैयार
- कसौली विधानसभा क्षेत्र में टिकटार्थियों की लंबी फेहरिस्त
पुनीत वर्मा : सोलन
कसौली विस क्षेत्र में बड़े कम मार्जिन पिछले दो चुनाव भाजपा के पक्ष में गए हैं। इस साल फिर चुनाव हैं। दोनों प्रमुख दलों से टिकट की दौड़ की स्थिति पिछले चुनाव जैसी ही है। भाजपा से राजीव सैजल इस बार चौका लगाने की फिराक में हैं तो कांग्रेस से विनोद सुल्तानपुरी गुगली फेंकने को तैयार हैं। दोनों बार अंतर्कलह से हारी कांग्रेस की राह इस बार भी कांटो भरी नजर आ रही है। गुटबाजी भाजपा में भी है, लेकिन सैजल की मैनेजमेंट अब तक डैमेज कंट्रोल करने में कामयाब रही है। कांग्रेस यदि अंतर्कलह पर काबू पाने में सफल हुई तो परंपरागत गढ़ पर कब्जा कर सकती है।
बता दें कि सैजल ने साल 2007, 2012 व साल 2017 के तीनों टैन्योर में जीत की हैट्रिक लगाई है। हैट्रिक के बाद जीत का चौका लगा पाएंगे या नहीं ये तो भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल टिकट को लेकर खींचतान शुरू है। हालांकि कसौली में वर्तमान विधायक डॉ. राजीव सैजल ही नजर आ रहे हैं। प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। ऐसे में टिकट को लेकर कोई चुनौती सामने नहीं है। हालांकि परवाणू नप में मिली हार भाजपा को जरूर थोड़ा बैकफुट पर धकेल देती है।
वहीं कांग्रेस से विनोद सुल्तानपुरी टिकट की रेस में शीर्ष पर हैं। सैजल को आउट करने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। पिछले दो चुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो विनोद का वोट बैंक ठीक ठाक रहा है। पहला चुनाव 24 मतों से तो दूसरा चुनाव कुल 442 मतों से हारे थे। सीट हारने का बड़ा कारण अंतर्कलह रही है। चुनाव से पूर्व टिकटार्थियों की टोली विनोद की मुश्किलें बढ़ाने का काम करती हैं। हालांकि दिल्ली दरबार में मजबूत पकड़ के चलते विनोद टिकट तो झटक लेते हैं, लेकिन अंतर्कलह उनके कसौली में राजनीतिक करियर को पीछे धकेल देती है। सभी चेयरमैन सैजल के खास सिपहसालार है। यह सभी सिपहसालार सैजल की बागडोर संभाले हैं। दूसरी ओर विनोद ने भी जनता की नब्ज टटोलना शुरू की है, लेकिन उनके टिकट काटने की हर आजमाइश हो रही है।
आप और अंतर्कलह बिगाड़ेगी समीकरण
कसौली में इस दफा टिकटार्थियों की फेहरिस्त लंबी है। इस पर आप पार्टी की दस्तक ने चुनाव रोचक बना दिए हैं। अंतर्कलह और दावेदारों की संख्या ने भी दोनों प्रमुख दलों के समीकरण बिगाडऩे शुरू कर दिए हैं। हालांकि चुनाव में अभी समय है, लेकिन दर्जन भर दावेदारों ने अभी से गोटियां फिट करना शुरू कर दी हैं। चुनाव करीब आने पर टिकटार्थियों की संख्या बढऩे के भी आसार हैं। कई दावेदार क्रिकेट खेल के माध्यम से अपने होने का एहसास करवा रहे हैं तो कई दोनों प्रमुख दलों की नीतियों को दमनकारी करार देकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। कुछ अभी से होटलों व रेस्तरां में लंच, डिनर डिप्लोमेसी पर रणनीति बना रहे हैं।
हरमेल हर चुनाव से पहले होते हैं एक्टिव
परवाणू से समाजसेवी हरमेल धीमान चुनाव से ठीक पहले ताबड़तोड़ प्रचार करते हैं। जगह-जगह पोस्टर लगा ब्रांडिंग करना व खेल प्रतियोगिताओं में खूब धनराशि स्पॉन्सर करने के अलावा धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर दान देना जैसे काम करते हैं, लेकिन भाजपा संगठन से टिकट न मिलने पर शांत बैठ जाते हैं। अबके फिर सक्रिय हैं, लेकिन भाजपा से टिकट की गुंजाइश शून्य है। ऐसे में इस बार आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं। आम आदमी पार्टी पूरे जोर के साथ क्षेत्र में अपनी जड़ें फैला रही है। विस के सभी 105 बूथ पर अपना जाल बिछा रही है। दोनों दलों में असंतुष्टों की संख्या बहुत है जो बागी होने को तैयार हैं। उधर, हरमेल ने सोमवार को भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।