शैलेश सैनी। नाहन
हाल ही में नारकोटिक्स व साइकॉट्रॉपिक दवा निर्माण को लेकर प्रदेश का दवा उद्योग (pharmaceutical industry) दवा के दुरुपयोग (misuse) को लेकर सवालों के घेरे में आ गया था। इसके बाद राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन के द्वारा फॉरेन एक्शन में आते हुए एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इसके तहत राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह द्वारा 20 काबिल अधिकारियों की 5 टीमें बनाते हुए 53 दवा कंपनियों की पूरी हार्ड स्कैनिंग करी गई।
यहां यह बताना जरूरी है कि यह छापेमारी केवल उन्हीं दवा फैक्टरियों में की गई जिनमें नारकोटिक्स व साइकॉट्रॉपिक दवाएं बनाई जाती हैं। इस 6 तक चलाए गए व्यापक अभियान में सहायक दवा नियंत्रक सनी कौशल, मनीष कपूर गरिमा शर्मा, ड्रग इंस्पेक्टर ललित भूमिका नरेंद्र ठाकुर रजत जैसे काबिल अधिकारियों सहित कुल 23 सदस्यों की टीम ने सोलन सिरमौर कांगड़ा तक 6 दिनों में 53 दवा इंडस्ट्री का औचक निरीक्षण किया। की गई कार्यवाही में पूरी पारदर्शिता बनी रहे इसको लेकर साथ में एसएनसीसी के डीएसपी दिनेश वह सब इंस्पेक्टर जगदीश की टीम भी शामिल रही।
इस व्यापक छापेमारी में किए गए निरीक्षण में 43 इकाइयां ऐसी थी जिनमें किसी भी तरह की कोई काम ही नहीं पाई गई, क्योंकि यह औचक निरीक्षण था कुछ कर्फ्यू की स्थिति भी चली हुई थी। लिहाजा 10 ऐसे उद्योग भी हैं जो जांच के दौरान पूरे डाक्यूमेंट्स नहीं दिखा पाए, जिन्हें कुछ समय देकर तमाम दस्तावेज ड्रग प्रशासन के सुपुर्द करने के लिए कहा गया है।
इनमें दो दवा इकाइयां ऐसी नहीं थी जिनमें बड़ी खामियां पाई गई और उन निर्माण इकाइयों को तत्काल प्रभाव से उत्पादन बंद करने का आदेश भी दिया गया है। बता दें कि इनमें एक दवा इकाई काला अंब की भी है, जबकि नौ दवा इकाइयां जिनमें खामियां पाई गई हैं वे बद्दी-बरोटीवाला क्षेत्र में आती हैं।
इस व्यापक अभियान के दौरान जांच में दो ऐसी इकाइयां भी हैं जिनके कथित स्टॉक को फ्रीज करने का भी आदेश दिया गया है। यानी 10 में से 6 ऐसी हैं जिन को जल्द रिकॉर्ड दिखाने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह की काबिलियत और उनकी टीम की लगन के चलते ही देश में हिमाचल प्रदेश बेस्ट फार्मा हब के रूप में अपनी पहचान बना चुका था। हाल ही में कुछ दवाओं के सब स्टैंडर्ड को लेकर तथा बनाई जा रही नारको वा साइकॉट्रॉपिक दवाओं के दुरुपयोग को लेकर विभाग सहित दवा निर्माताओं पर भी कुछ सवालिया निशान लगे थे।
हालांकि इन आरोपों में विभाग ने तो अपनी कार्यवाही पूरी मुस्तैदी के साथ की है मगर जिन राज्यों में यह दवा दुरुपयोग के तौर पर पाई गई । वहां की पुलिस अभी तक असली अपराधी तक नहीं पहुंच पाई है।
राज्य ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के द्वारा जो हाल ही में परिस्थितियां उत्पन्न हुई उसको लेकर भी एक सुपर फॉर्मूला तैयार कर लिया गया है। जिसके तहत एस ओ पी बनाते हुए नियम बना दिया गया है कि नारकोटिक वास साइकॉट्रॉपिक दवाएं बनाए जाने पर इसका पूरा विवरण स्थानीय ड्रग अथॉरिटी और स्थानीय जिला के पुलिस कप्तान को भी देनी होगी। यही नहीं जिस राज्य के लिए यह दवा बन कर जाएगी उस राज्य के दवा नियंत्रक को ई-मेल से पूरी सूचना भी देनी होगी।
इसके अलावा जो नई नोटिफिकेशन मार्च महीने में लागू हुई है उसके अनुसार अब दवा निर्माता और दवा विक्रेता दोनों एक दूसरे की गलतियों के लिए बराबर के जिम्मेदार होंगे। यानी इन दोनों के बीच में एग्रीमेंट होगा उस एग्रीमेंट के तहत ही दवा को बेचा या बनाया जाएगा।
कहा जा सकता है कि जो फार्मूला राज्य दवा नियंत्रण एडमिनिस्ट्रेशन के द्वारा तैयार किया गया है उसके बाद कहीं भी दवा का नशे के लिए दुरुपयोग की संभावना नहीं रहेगी। खास तौर पर ड्रग मैन्युफैक्चर और ऑर्डर देने वाली फार्म एक सुरक्षा कवच में होंगे।
चूंकि हिमाचल प्रदेश सरकार नशे पर प्रतिबंध को लेकर पूरी तरह से कृत संकल्प है। लिहाजा ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाह के द्वारा वर्ष 2016 मैं ही एक बड़ा निर्णय लिया गया था, जिसके तहत एफेड्रिन, स्यूडोफेड्रिन, डिफेनोक्सिलेट और ब्यूप्रेनोर्फिन दवा के फॉर्मूलेशन निर्माण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
हालांकि इस दवा के निर्माण के प्रतिबंध के बाद नशा छोड़ने वाले मरीजों के लिए सबसे बड़ी परेशानी भी पैदा हो गई थी। बावजूद इसके इस दवा का दुरुपयोग ना हो इसको लेकर दवा ही प्रतिबंधित कर दी गई थी।
बहरहाल समय अनुसार नजर आई खामियों को लेकर विभाग ने जो त्वरित कार्रवाई करते हुए एक्शन लिया है वह काबिलेतारीफ है, मगर इसके साथ साथ हिमाचल में बनी दवाओं को कुछ राज्यों के द्वारा सब्सटेंडर्ड भी करवा दिया जाता है, जबकि यह दवाएं हिमाचल प्रदेश के क्लाइमेट के अनुसार यहां की लैब में पूरी तरह से जांच परख कर ही बनाई जाती हैं।
ऐसे में दवा उद्योग पतियों का मनोबल भी ना टूटे और उनकी दवा प्रदेश ड्रग अथॉरिटी के द्वारा प्रमाणित होने के बाद उस पर कहीं भी सवालिया निशान ना लगे इसको लेकर भी कोई बड़ा प्रबंध करना होगा। वहीँ प्रदेश सरकार और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के द्वारा यह भी सुनिश्चित कर दिया गया है की सभी दवा निर्माताओं के लाइसेंस नए सिरे से रिन्यू किए जाएं।
उधर राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाहा ने खबर की पुष्टि भी की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नशे पर प्रतिबंध को लेकर कृत संकल्प है लिहाजा सरकार के आदेशों के अनुसार व्यापक नियमावली तैयार की गई है।