मुंबई : महाराष्ट्र में हुए आश्चर्यजनक उलटफेर में शनिवार को भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ जब कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस और राकांपा ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनने की घोषणा की थी।
बाद में शिवसेना ने देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की मनमानी और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा आनन-फानन में राजभवन में सुबह आठ बजे आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में नाटकीय तरीके से फडणवीस और पवार को शपथ दिलाए जाने के बाद राकांपा में दरार दिखाई देने लगी। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के कदम से दूरी बनाते हुए कहा कि फडणवीस का समर्थन करना उनका निजी फैसला है न कि पार्टी का। बाद में राकांपा ने अजित पवार को पार्टी विधायल दल के नेता पद से हटाते हुए कहा कि उनका कदम पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं है।
राकांपा विधायक दल की बैठक में कुल 54 में से 49 विधायक मौजूद रहे। अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि राज्यपाल ने फडणवीस को विधानसभा में 30 नवंबर तक बहुमत साबित करने को कहा है। ऐसी भी खबरे हैं कि शुक्रवार रात को फडणवीस और अजित पवार ने राज्यपाल से अलग-अलग मुलाकात की थी जिसके बाद उन्होंने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की। कांग्रेस और शिवसेना नेता ने राज्यपाल पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया।
वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह महाराष्ट्र की जनता पर हमला है और वो इसका बदला लेगी। शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला लेकर अजित पवार ने महाराष्ट्र की जनता की पीठ में छुरा घोंपा है। कांग्रेस ने शपथ ग्रहण समारोह को भारतीय इतिहास का काला अध्याय करार देते हुए आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र के भाड़े के हत्यारे की तरह काम किया है और राज्यपाल ने एक बार फिर साबित किया है कि वे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हिटमैन हैं।
दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी मौकापरस्त अजित पवार पर पहले भ्रष्टाचार का आरोप लगाती थी और वह भाजपा द्वारा जेले भेजे जाने से डरे हुए थे। हालांकि, भाजपा ने इस बात पर जोर दिया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए उसे चुनावी और नैतिक जनादेश प्राप्त है। पार्टी ने राकंपा नेता अजित पवार के साथ गठबंधन की हो रही आलोचना को दरकिनार करते हुए कहा कि यह परिस्थिति जनित है।
दक्षिण मुंबई स्थित राजभवन में सुबह हुआ यह शपथ ग्रहण कार्यक्रम 2014 में आयोजित फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह के बिल्कुल अलग है। 2014 में हजारों लोगों की उपस्थिति में वानखेड़े स्टेडियम में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था। राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के तुरंत बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र का शासन हटाने के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और इस संबंध में एक गजट अधिसूचना अलसुबह पांच बजकर 47 मिनट पर जारी की गई।
यह सवाल उठे कि क्या राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई? इस पर गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मंजूरी केंद्र सरकार ने भारत सरकार (कार्य संचालन) नियमावली के विशेष प्रावधान के तहत दी जिसके तहत प्रधानमंत्री में विशेष शक्तियां निहित हैं।
उन्होंने कहा कि नियम 12 के तहत प्रधानमंत्री को किसी भी मामले या मामलों की श्रेणी में जरूरत पडऩे पर इन नियमों से परे फैसला लेने की अनुमति है। अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपनी मंजूरी दी जिसे स्वत: केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मान ली गई। फडणवीस का शपथग्रहण समारोह शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा के लिए राजनीति झटके के रूप में आया जो कुछ घंटे पहले ही उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने पर सहमत हुए थे। शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले को अनुशासनहीनता करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे और पाला बदलने वाले पार्टी के अन्य विधायकों पर दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू होंगे।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने भाजपा से हाथ मिला कर महाराष्ट्र के लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है।
बाद में शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की मनमानी और दुर्भावनापूर्ण कार्वार्इाफैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। इस पर रविवार को सुनवाई होगी। मुंबई स्थित भाजपा कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा कि वह महाराष्ट्र में अजित पवार के समर्थन से मजबूत सरकार देंगे।
कुछ ही लोगों ने ही सोचा था कि महीने भर से चल रहे राजनीतिक उठापटक का इस तरह से नाटकीय अंत होगा। पवार ने शुक्रवार को कहा था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार बनेगी। तीनों पार्टियों ने मार्ग दर्शन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा भी तैयार कर लिया था। शरद पवार ने शनिवार को अजित पवार के फैसले को अनुशासनहीनता करार किया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नीत नई सरकार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। पवार ने जोर देकर कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के पास संयुक्त रूप से संख्या बल है और तीनों दल सरकार बनाएंगे।
महाराष्ट्र में सुबह के इस घटनाक्रम के बाद शरद पवार ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ पत्रकार सम्मेलन को संबोधित किया। शरद पवार ने कहा कि जिन विधायकों ने दल-बदल किया है उनकी विधानसभा की सदस्यता छिन जाएगी और जब उपचुनाव होंगे, तब कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना गठबंधन उनकी हार सुनिश्चित करेगा। शरद ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या उनके भतीजे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डर से भाजपा का समर्थन करने का फैसला लिया। अजित पवार उन लोगों में शामिल हैं जो करोड़ों रुपए के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले मामले में नामजद किए गए हैं।
राकांपा प्रमुख ने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर उनकी बेटी सुप्रिया सुले के साथ सत्ता संघर्ष के परिणामस्वरूप अजित ने यह अवज्ञा की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना को निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों के साथ 169-170 विधायकों का समर्थन हासिल है तथा वे सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। राकांपा प्रमुख ने कहा, सुबह करीब साढे छह-पौने सात बजे, मेरे पास यह फोन कॉल आया कि राकांपा के कुछ विधायकों को राजभवन ले जाया गया है। कुछ देर बाद, हमें पता चला कि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
उन्होंने कहा कि राकांपा के जो 10 से 11 विधायक राजभवन में अजित के साथ उपस्थित थे, उनमें से तीन पार्टी में लौट आए। दो और लौट रहे हैं। शरद पवार ने कहा, टीवी फुटेज और तस्वीरों से हमने विधायकों की पहचान कर ली है। संवाददाता सम्मेलन में मौजूद विधायकों–बुलढाणा से राजेंद्र शिंगणे और बीड से संदीप क्षीरसागर ने कहा कि रात 12 बजे उन्हें अजित पवार का फोन कॉल आया, जिसमें उनसे पार्टी के नेता धनंजय मुंडे के आवास पर सुबह सात बजे आने को कहा गया। दोनों विधायकों ने कहा कि इसके बाद उन्हें राजभवन ले जाया गया। उन्होंने बताया, इससे पहले कि उन्हें कुछ आभास हो पाता, हमने देखा कि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शपथ ग्रहण करा रहे हैं।
शिंगणे ने कहा, जब मैं राजभवन पहुंचा, तो पाया कि आठ से10 विधायक पहले से वहां मौजूद हैं। हममें से किसी ने महसूस नहीं किया कि हमें वहां क्यों लाया गया। शपथ ग्रहण के बाद हम (शरद) पवार साहेब से मिलने गए। शरद पवार ने कहा, राकांपा का विधायक दल का नेता होने के नाते अजित पवार के पास आंतरिक उद्देश्यों के लिए सभी 54 विधायकों के नाम, हस्ताक्षर और निर्वाचन क्षेत्रों के साथ सूची थी। मुझे लगता है कि उन्होंने यह सूची समर्थन पत्र के रूप में राज्यपाल को सौंपी होगी।
यदि यह सच है तो राज्यपाल को भी गुमराह किया गया है। अजित पवार के कट्टर समर्थक एवं राकांपा विधायक धनंजय मुंडे बाद में दक्षिण मुंबई के चव्हाण केंद्र में हुई पार्टी विधायकों की बैठक में शामिल हुए। उद्धव ठाकरे ने भाजपा द्वारा शिवसेना पर जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाने पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, मैंने सुना कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक तड़के हुई, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक। यह महाराष्ट्र पर फर्जीकल स्ट्राइक है… यह साफ तौर पर जनादेश और संविधान का अपमान है। यह महाराष्ट्र के लोगों पर सर्जिकल स्ट्राइक है और वे इसका बदला लेंगे।
उद्धव ठाकरे ने कहा, सभी जानते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने क्या किया जब उनपर पीछे से हमला किया गया। उन्होंने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ता विधायकों को तोडऩे की किसी भी कोशिश को नाकाम कर देंगे। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि भाजपा ने जिन राकांपा विधायकों के समर्थन का दावा किया था वे पार्टी बैठक में शामिल हुए। इससे साफ है कि फडणवीस ने राज्यपाल को गुमराह किया है। इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
दिन भर की नाटकीय घटना में शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के एक विधायक के लिए गुमशुदा होने की शिकायत भी दर्ज कराई गई। शाहपुर के राकांपा विधायक दौलत दरोडा सुबह दक्षिण मुंबई स्थित राजभवन सुबह जाने के बाद से लापता हैं जहां पर फडणवीस और अजित पवार ने शपथ ली थी। पुलिस ने बताया कि ठाणे से दरोडा अपने बेटे के साथ शुक्रवार रात को ठाणे से निकले थे और मुंबई पहुंचने के बाद से उनका कोई अतापता नहीं है। उल्लेखनीय है कि भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव में लड़ा था और 288 सदस्ईय सदन में क्रमश: 105 एवं 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत से अधिक है।
शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। कांग्रेस-राकांपा के चुनाव पूर्व गठबंधन ने क्रमश: 44 और 54 सीटों पर जीत दर्ज की थी। महाराष्ट्र में यह नाटकीय घटना राज्यसभा के 250वें सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शरद पवार की पार्टी की प्रशंसा के बाद हुई है। मोदी ने कहा था कि भाजपा सहित सभी पार्टियों को राकांपा और बीजू जनता दल से सीखना चाहिए कि कैसे संसदीय परंपराओं का पालन किया जाता है।
वर्ष 2016 में मोदी, पवार के निमंत्रण पर मंजरी स्थित वंसतदादा चीनी संस्थान में आए थे और उन्होंने राकांपा प्रमुख की प्रशांसा करते हुए कहा कि वे सार्वजनिक जीवन में अन्य के लिए उदाहरण हैं। मोदी ने कहा था, मैं व्यक्तिगत रूप से पवार का सम्मान करता हूं। उस समय मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब उन्होंने मेरी उंगली पकड़ कर चलने में मदद की। मैं इसे सार्वजनिक रूप से बताने में गर्व महसूस करता हूं।