हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : सरकारी कर्मचारियों के लिए अनुबंध पर दी गई सेवा पेंशन के लिए गिनी जाएगी। यह निर्णय न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चंद्रभूषण बारोवालिया की खंडपीठ में आयुर्वेदिक डॉक्टर की विधवा शीला देवी द्वारा पारिवारिक पेंशन के लिए दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिए।
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी के पति को वर्ष 1999 में आयुर्वेदिक डॉक्टर के पद पर अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 2009 को उसकी सेवाओं को नियमित कर दिया गया था। 23 जनवरी 2011 को प्रार्थी के पति का देहांत हो गया था। प्रार्थी की ओर से राज्य सरकार के समक्ष पेंशन के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे राज्य सरकार की ओर से यह कहकर रद कर दिया गया था कि प्रार्थी के पति को अनुबंध के आधार पर नियुक्ति प्रदान की गई थी और अनुबंध के आधार पर दी गई सेवाओं को पेंशन के लिए नहीं गिना जा सकता।
खंडपीठ ने प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न मामलों में दिए गए फैसलों का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया कि प्रार्थी का पेंशन दिए जाने के लिए दायर किया गया मामला जायज है। न्यायालय ने प्रार्थी के पति द्वारा अनुबंध के आधार पर दी गई सेवाओं को पेंशन के लिए न्याय संगत पाते हुए राज्य सरकार को ये आदेश जारी किए कि वह प्रार्थी को उसके द्वारा दाखिल की गई याचिका के 3 वर्ष पहले से पेंशन अदा की अदायगी करे।
कम सैलरी की अनुबंध नौकरी से सरकार को ही लाभ
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जीवन के खुशहाली के दिनों में कम सैलरी पर अनुबंध के आधार पर दी गई सेवाओं से राज्य सरकार को ही लाभ हुआ है। इस दौरान दी गई सेवाओं को पेंशन के लिए न गिना जाना राज्य सरकार के अनुचित व्यापारिक व्यवहार को दर्शाता है, जिसकी कानून अनुमति प्रदान नहीं करता है।