डा बीआर तक्खी से जीवन ऋषि की सीधी बात
धर्मशाला से कृषि विभाग (Agriculture Department) के 6 जिले चलते हैं। इनमे कांगड़ा, चंबा, ऊना, मंडी व हमीपुर शामिल हैं। धर्मशाला में इस आफिस का अतिरिक्त भवन बन रहा है। इसके शिलान्यास अवसर पर धर्मशाला पहुंचे कृषि निदेशक डा बीआर तक्खी से हिमाचल दस्तक ने खेती के हर प्रारूप पर सवाल किए। पेश हैं ब्यूरो प्रभारी जीवन ऋषि से डा बीआर तक्खी की वार्ता के मुख्य अंश-
धर्मशाला में बन रहे नए भवन का छह जिलों के किसानों पर क्या असर होगा?
डा तक्खी : धर्मशाला में छह जिलों के पांच लाख किसानों की योजनाएं संचालित व मानीटर होती हैं। नए भवन में एसएमएस, सोइल कंजरवेटर एक साथ बैठेंगे। साथ ही खेती को लेकर सारी प्लानिंग एक जगह से होगी। इससे लाखों किसानों को एक जगह सहूलियत मिल जाएगी।
जीरो बजट खेती का क्या हुआ, कितने किसान इससे जुड़ चुके हैं?
डा तक्खी : अब इसका नाम सिर्फ प्राकृतिक खेती है। इससे दो लाख किसान जुड़ चुके हैं।
प्राकृतिक खेती में एक तो पैदावार कम होती है, दूसरे इसके लिए मार्केट खोजना बड़ी समस्या है, क्या सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को आर्थिक मदद करेगी?
डा तक्खी : अभी ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडऩे पर जोर दिया जा रहा है। जैसे -जैसे पैदावार बढ़ेगी, इन किसानों को मार्केट भी मुहैया करवाई जाएगी।
हिमाचल में कुल किसान कितने हैं। इसमें आप वास्तविक किसान कितनों को मानेंगे?
डा तक्खी : हिमाचल (himachal) में साढ़े नौ लाख के करीब किसान हैं, लेकिन वास्तविक किसानों की बात की जाए, तो यह आंकड़ा पांच लाख के करीब रहेगा।
कृषि विभाग कितना डिजिटल हुआ है, कितने किसानों ने डिजिटल इंडिया पर भरोसा किया है?
डा तक्खी : पिछली बार पांच हजार किसानों ने योजनाओं के लाभ को लेकर आनलाइन आवेदन किया था। बीच में पोर्टल बंद भी हुआ। इसमें हर किसान को जवाब दिया गया है। सबसिडी के अलावा नूतन पोलीहाउस, कृषि यंत्रीकरण योजनाएं पूरी तरह डिजिटल हैं। डिजिटल इंडिया अपनाने से किसानों का ही भला होगा। उनका कीमती समय बचता है।
हिमाचल दस्तक : इस बरसात ने खेती को खूब नुकसान पहुंचाया है। किसानों का आरोप है कि बरसात के नुकसान का कभी मुआवजा नहीं मिलता?
डा तक्खी : ऐसा नहीं है। इस बार मक्की को कई जगह नुकसान हुआ है। इसी तरह कांगड़ा और सिरमौर से धान को नुकसान की सूचना है। कई जगह भूमि कटाव भी हुआ है। सभी कृषि उपनिदेशकों से इस बारे में रिपोर्ट तलब की है।
रबी सीजन को लेकर क्या प्लान है?
डा तक्खी :रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं के अलावा सभी तरह के बीज पहली अक्टूबर से हमारे सेल सेंटरों में उपलब्ध होंगे। कोई शिकायत है,तो किसान सीधे संपर्क कर सकते हैं।
साढ़े नौ लाख किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
डा तक्खी : मेरा किसानों को यही संदेश है कि वे विभाग की हर योजना का लाभ उठाएं। विभागीय अधिकारी हमेशा उनकी सेवा में तत्पर हैं। हां, किसानों से आग्रह है कि वे पुराने व बेदम बीजों को कतई इस्तेमाल न करें। विभाग के पास एक से बढ़कर एक बीज है। उन्हें नए बीजों की ओर जाना होगा।