- सुरंग की डीपीआर बनाने के लिए कंसल्टेंसी के हुए टेंडर
- चार एजेंसियों में से दो तकनीकी मूल्यांकन में पास
- वित्तीय मूल्यांकन के बाद एक को मिलेगा टेंडर
- जलोड़ी दर्रे की बर्फ की दीवार से मिलेगा छुटकारा
जितेंद्र गुप्ता : आनी
वर्षों से निर्माण कार्य शुरू होने की बाट जोह रहे सैंज-आनी-ओट नेशनल हाईवे 305 को लेकर एक खुशखबरी है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सुरंग की डीपीआर बनाने की कंसल्टेंसी के 25 करोड़ रुपये के टेंडर 28 अप्रैल को बुलाए गए थे। इसमें 4 एजेंसियों ने भाग लिया था। इसमें से दो एजेंसियां तय मानकों पर खरी नहीं उतरी, जबकि दो एजेंसियां तकनीकी मूल्यांकन में सफल हो गई हैं।
इनका वित्तीय मूल्यांकन करने के बाद एक एजेंसी को डीपीआर कंसल्टेंसी का काम दे दिया जाएगा। जिस एजेंसी को काम मिलेगा वह खनाग से घियागी के बीच बनने वाली 4.2 किलोमीटर लंबी डबल लेन सुरंग, एक डबल लेन पुल और 7 किलोमीटर लंबे डबल लेन संपर्क मार्ग को लेकर इन्वेस्टिगेशन करेगी, इसकी ड्राइंग और डिजाइन तैयार करेगी और फिर डीपीआर बनाएगी। इतना ही नहीं जब निर्माण कार्य शुरू होगा तो उसका सुपरविजन भी यही कंपनी करेगी और निर्माण कार्य पूरा हो जाने के 10 साल बाद तक इसका रखरखाव का जिम्मा भी इसी एजेंसी का रहेगा।
आपको बता दें कि इससे पहले भी कई बार टेंडर कॉल किए गए थे। कभी किसी ने इसमें भाग ही नहीं लिया तो कभी कोई मानकों में खरा नहीं उतर पाया। वर्ष 2021 में भी जब टेंडर आमंत्रित किए गए थे तो 5 एजेंसियों ने भाग लिया, लेकिन कोई भी तय मानकों पर खरा नहीं उतर पाया था। फलस्वरूप जलोड़ी सुरंग के निर्माण का सपना मात्र सपना ही लगने लगा था, लेकिन अब जाकर दो एजेंसियों के तकनीकी मानकों में खरा उतर जाने से एक बार फिर सुरंग के जल्द निर्माण और जलोड़ी दर्रे की बर्फ की दीवार से छुटकारा मिलने की आस बंध गई है।
खनाग से घयागी के बीच 4.2 किलोमीटर लंबी यातायात सुरंग बनने से औट-सैंज लुहरी मार्ग पर सालभर वाहनों की आवाजाही होती रहेगी। सर्दियों में बर्फबारी होने से जलोड़ी जोत दर्रा नवंबर से मार्च के प्रथम सप्ता तक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो जाती है। ऐसे में लोगों को मंडी जिले के करसोग होकर आना जाना पड़ता है।
शिमला जिले के लुहरी से कुल्लू की दूरी 120 किलोमीटर के आसपास है। दर्रा बंद होने से लुहरी से करसोग होकर कुल्लू की दूरी 220 किलोमीटर हो जाती है। आनी व निरमंड क्षेत्र के लोगों को सबसे अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
जलोड़ी जोत सुरंग की डीपीआर बनाने की कंसल्टेंसी के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा निविदाएं आमंत्रित की गई थीं। इसमें 4 एजेंसियों ने भाग लिया और तकनीकी मूल्यांकन में दो को सफलता मिली है, जिनका वित्तीय मूल्यांकन किया जाएगा।
– केएल सुमन, अधिशाषी अभियंता
एनएच डिपार्टमेंट, रामपुर डिविजन।