ललित ठाकुर। पधर
उपमंडल पधर में आराध्य वर्षा की देवी भगवान इंद्र देव की परियों में शुमार अठारह करंडू स्थली फूटाखल परमेश्वरी ऐतिहासिक पलों के बीच रविवार को अपने काष्ठकला से नवनिर्मित भव्य मंदिर में विराजमान हो गईं।
इस स्थली को तमाम देवताओं की मूल स्थली के रूप में भी जाना जाता है। बताया जाता है कि इसी स्थल से सभी देवी-देवताओं का बंटवारा हुआ था और माता ने फूटाखल में रहने की हामी भरी थी।
इस दौरान फूटाखल जंगल परिसर जयकारों से गूंज उठा। भगवती के मंदिर प्रतिष्ठा समारोह में बड़ादेयो, हुरंग काली नारायण सहित तमाम देवताओं ने शिरकत करनी थी, लेकिन कोरोना की बंदिशों के चलते समारोह में देवताओं की उपस्थिति नहीं हो सकी।
मंदिर निर्माण कमेटी के अध्यक्ष रेवत सिंह ठाकुर ने बताया कि यह मंदिर लकड़ी, पत्थर और मिट्टी से बनाया गया है जिसे करीब 8 से 10 महीनों में लाखों की लागत से तैयार किया गया जिसमें लोगों ने अपना भरपूर सहयोग दिया।
क्षेत्र के तमाम शक्तिपीठों की ओर से मिले आदेशों के अनुसार उनके मुख्य कारदारों ने समारोह में हाजिरी भरी। भयंकर सूखा पड़ने और आपदा आने पर पूजा में कमी रहने से नाखुश होने पर देवी रूठ कर हुरंग नारायण के पास चली जाती हैं तो उसे देवताओं के आदेश पर पूजा के तमाम विधि-विधान कर देवी को खुश करके दोबारा फूटाखल जंगल में विराजमान करवाना पड़ता है, तभी आपदाओं से क्षेत्र के लोगों को राहत मिलती है।